5 फ़रिश्ता बोला, “क्या यह तुझे मालूम नहीं?” मैंने जवाब दिया, “नहीं, मेरे आक़ा।”
6 फ़रिश्ते ने मुझसे कहा, “ज़रुब्बाबल के लिए रब का यह पैग़ाम है,
8 रब का कलाम एक बार फिर मुझ पर नाज़िल हुआ, 9 “ज़रुब्बाबल के हाथों ने इस घर की बुनियाद डाली, और उसी के हाथ उसे तकमील तक पहुँचाएँगे। तब तू जान लेगा कि रब्बुल-अफ़वाज ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। 10 गो तामीर के आग़ाज़ में बहुत कम नज़र आता है तो भी उस पर हिक़ारत की निगाह न डालो। क्योंकि लोग ख़ुशी मनाएँगे जब ज़रुब्बाबल के हाथ में साहूल देखेंगे। (मज़कूरा सात चराग़ रब की आँखें हैं जो पूरी दुनिया की गश्त लगाती रहती हैं)।”
11 मैंने मज़ीद पूछा, “शमादान के दाएँ बाएँ के ज़ैतून के दो दरख़्तों से क्या मुराद है? 12 यहाँ सोने के दो पायप भी नज़र आते हैं जिनसे ज़ैतून का सुनहरा तेल बह निकलता है। ज़ैतून की जो दो टहनियाँ उनके साथ हैं उनका मतलब क्या है?”
13 फ़रिश्ते ने कहा, “क्या तू यह नहीं जानता?” मैं बोला, “नहीं, मेरे आक़ा।” 14 तब उसने फ़रमाया, “यह वह दो मसह किए हुए आदमी हैं जो पूरी दुनिया के मालिक के हुज़ूर खड़े होते हैं।”
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