रूत
3 लेकिन कुछ देर के बाद इलीमलिक फ़ौत हो गया, और नओमी अपने दो बेटों के साथ अकेली रह गई। 4 महलोन और किलियोन ने मोआब की दो औरतों से शादी कर ली। एक का नाम उरफ़ा था और दूसरी का रूत। लेकिन तक़रीबन दस साल के बाद 5 दोनों बेटे भी जान-बहक़ हो गए। अब नओमी का न शौहर और न बेटे ही रहे थे।
14 तब उरफ़ा और रूत दुबारा रो पड़ीं। उरफ़ा ने अपनी सास को चूमकर अलविदा कहा, लेकिन रूत नओमी के साथ लिपटी रही। 15 नओमी ने उसे समझाने की कोशिश की, “देखें, उरफ़ा अपनी क़ौम और अपने देवताओं के पास वापस चली गई है। अब आप भी ऐसा ही करें।”
16 लेकिन रूत ने जवाब दिया, “मुझे आपको छोड़कर वापस जाने पर मजबूर न कीजिए। जहाँ आप जाएँगी मैं जाऊँगी। जहाँ आप रहेंगी वहाँ मैं भी रहूँगी। आपकी क़ौम मेरी क़ौम और आपका ख़ुदा मेरा ख़ुदा है। 17 जहाँ आप मरेंगी वहीं मैं मरूँगी और वहीं दफ़न हो जाऊँगी। सिर्फ़ मौत ही मुझे आपसे अलग कर सकती है। अगर मेरा यह वादा पूरा न हो तो अल्लाह मुझे सख़्त सज़ा दे!”
18 नओमी ने जान लिया कि रूत का साथ जाने का पक्का इरादा है, इसलिए वह ख़ामोश हो गई और उसे समझाने से बाज़ आई। 19 वह चल पड़ीं और चलते चलते बैत-लहम पहुँच गईं। जब दाख़िल हुईं तो पूरे शहर में हलचल मच गई। औरतें कहने लगीं, “क्या यह नओमी नहीं है?”
20 नओमी ने जवाब दिया, “अब मुझे नओमी *ख़ुशगवार, ख़ुशीवाली। मत कहना बल्कि मारा, †कड़वी। क्योंकि क़ादिरे-मुतलक़ ने मुझे सख़्त मुसीबत में डाल दिया है। 21 यहाँ से जाते वक़्त मेरे हाथ भरे हुए थे, लेकिन अब रब मुझे ख़ाली हाथ वापस ले आया है। चुनाँचे मुझे नओमी मत कहना। रब ने ख़ुद मेरे ख़िलाफ़ गवाही दी है, क़ादिरे-मुतलक़ ने मुझे इस मुसीबत में डाला है।”
22 जब नओमी अपनी मोआबी बहू के साथ बैत-लहम पहुँची तो जौ की फ़सल की कटाई शुरू हो चुकी थी।
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