5 चूँकि इस तरह हम उस की मौत में उसके साथ पैवस्त हो गए हैं इसलिए हम उसके जी उठने में भी उसके साथ पैवस्त होंगे। 6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना इनसान मसीह के साथ मसलूब हो गया ताकि गुनाह के क़ब्ज़े में यह जिस्म नेस्त हो जाए और यों हम गुनाह के ग़ुलाम न रहें। 7 क्योंकि जो मर गया वह गुनाह से आज़ाद हो गया है। 8 और हमारा ईमान है कि चूँकि हम मसीह के साथ मर गए हैं इसलिए हम उसके साथ ज़िंदा भी होंगे, 9 क्योंकि हम जानते हैं कि मसीह मुरदों में से जी उठा है और अब कभी नहीं मरेगा। अब मौत का उस पर कोई इख़्तियार नहीं। 10 मरते वक़्त वह हमेशा के लिए गुनाह की हुकूमत से निकल गया, और अब जब वह दुबारा ज़िंदा है तो उस की ज़िंदगी अल्लाह के लिए मख़सूस है। 11 आप भी अपने आपको ऐसा समझें। आप भी मरकर गुनाह की हुकूमत से निकल गए हैं और अब आपकी मसीह में ज़िंदगी अल्लाह के लिए मख़सूस है।
12 चुनाँचे गुनाह आपके फ़ानी बदन में हुकूमत न करे। ध्यान दें कि आप उस की बुरी ख़ाहिशात के ताबे न हो जाएँ। 13 अपने बदन के किसी भी अज़ु को गुनाह की ख़िदमत के लिए पेश न करें, न उसे नारास्ती का हथियार बनने दें। इसके बजाए अपने आपको अल्लाह की ख़िदमत के लिए पेश करें। क्योंकि पहले आप मुरदा थे, लेकिन अब आप ज़िंदा हो गए हैं। चुनाँचे अपने तमाम आज़ा को अल्लाह की ख़िदमत के लिए पेश करें और उन्हें रास्ती के हथियार बनने दें। 14 आइंदा गुनाह आप पर हुकूमत नहीं करेगा, क्योंकि आप अपनी ज़िंदगी शरीअत के तहत नहीं गुज़ारते बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल के तहत।
20 जब गुनाह आपका मालिक था तो आप रास्तबाज़ी से आज़ाद थे। 21 और इसका नतीजा क्या था? जो कुछ आपने उस वक़्त किया उससे आपको आज शर्म आती है और उसका अंजाम मौत है। 22 लेकिन अब आप गुनाह की ग़ुलामी से आज़ाद होकर अल्लाह के ग़ुलाम बन गए हैं, जिसके नतीजे में आप मख़सूसो-मुक़द्दस बन जाते हैं और जिसका अंजाम अबदी ज़िंदगी है। 23 क्योंकि गुनाह का अज्र मौत है जबकि अल्लाह हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा के वसीले से हमें अबदी ज़िंदगी की मुफ़्त नेमत अता करता है।
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