7 ईसा फ़रमाता है, “देखो, मैं जल्द आऊँगा। मुबारक है वह जो इस किताब की पेशगोइयों के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारता है।”
8 मैं यूहन्ना ने ख़ुद यह कुछ सुना और देखा है। और उसे सुनने और देखने के बाद मैं उस फ़रिश्ते के पाँवों में गिर गया जिसने मुझे यह दिखाया था और उसे सिजदा करना चाहता था। 9 लेकिन उसने मुझसे कहा, “ऐसा मत कर! मैं भी उसी का ख़ादिम हूँ जिसका तू, तेरे भाई नबी और किताब की पैरवी करनेवाले हैं। ख़ुदा ही को सिजदा कर!” 10 फिर उसने मझे बताया, “इस किताब की पेशगोइयों पर मुहर मत लगाना, क्योंकि वक़्त क़रीब आ गया है। 11 जो ग़लत काम कर रहा है वह ग़लत काम करता रहे। जो घिनौना है वह घिनौना होता जाए। जो रास्तबाज़ है वह रास्तबाज़ी करता रहे। जो मुक़द्दस है वह मुक़द्दस होता जाए।”
12 ईसा फ़रमाता है, “देखो, मैं जल्द आने को हूँ। मैं अज्र लेकर आऊँगा और मैं हर एक को उसके कामों के मुवाफ़िक़ अज्र दूँगा। 13 मैं अलिफ़ और ये, अव्वल और आख़िर, इब्तिदा और इंतहा हूँ।”
14 मुबारक हैं वह जो अपने लिबास को धोते हैं। क्योंकि वह ज़िंदगी के दरख़्त के फल से खाने और दरवाज़ों के ज़रीए शहर में दाख़िल होने का हक़ रखते हैं। 15 लेकिन बाक़ी सब शहर के बाहर रहेंगे। कुत्ते, ज़िनाकार, क़ातिल, बुतपरस्त और तमाम वह लोग जो झूट को प्यार करते और उस पर अमल करते हैं सबके सब बाहर रहेंगे।
16 “मैं ईसा ने अपने फ़रिश्ते को तुम्हारे पास भेजा है ताकि वह जमातों के लिए तुम्हें इन बातों की गवाही दे। मैं दाऊद की जड़ और औलाद हूँ, मैं ही चमकता हुआ सुबह का सितारा हूँ।”
17 रूह और दुलहन कहती हैं, “आ!”
20 जो इन बातों की गवाही देता है वह फ़रमाता है, “जी हाँ! मैं जल्द ही आने को हूँ।” “आमीन! ऐ ख़ुदावंद ईसा आ!”
21 ख़ुदावंद ईसा का फ़ज़ल सबके साथ रहे।
<- मुकाशफ़ा 21