5 फिर उस फ़रिश्ते ने जिसे मैंने समुंदर और ज़मीन पर खड़ा देखा अपने दहने हाथ को आसमान की तरफ़ उठाकर 6 अल्लाह के नाम की क़सम खाई, उसके नाम की जो अज़ल से अबद तक ज़िंदा है और जिसने आसमानों, ज़मीन और समुंदर को उन तमाम चीज़ों समेत ख़लक़ किया जो उनमें हैं। फ़रिश्ते ने कहा, “अब देर नहीं होगी। 7 जब सातवाँ फ़रिश्ता अपने तुरम में फूँक मारने को होगा तब अल्लाह का भेद जो उसने अपने नबुव्वत करनेवाले ख़ादिमों को बताया था तकमील तक पहुँचेगा।”
8 फिर जो आवाज़ आसमान से सुनाई दी थी उसने एक बार फिर मुझसे बात की, “जा, वह तूमार ले लेना जो समुंदर और ज़मीन पर खड़े फ़रिश्ते के हाथ में खुला पड़ा है।”
9 चुनाँचे मैंने फ़रिश्ते के पास जाकर उससे गुज़ारिश की कि वह मुझे छोटा तूमार दे। उसने मुझसे कहा, “इसे ले और खा ले। यह तेरे मुँह में शहद की तरह मीठा लगेगा, लेकिन तेरे मेदे में कड़वाहट पैदा करेगा।”
10 मैंने छोटे तूमार को फ़रिश्ते के हाथ से लेकर उसे खा लिया। मेरे मुँह में तो वह शहद की तरह मीठा लग रहा था, लेकिन मेदे में जाकर उसने कड़वाहट पैदा कर दी। 11 फिर मुझे बताया गया, “लाज़िम है कि तू बहुत उम्मतों, क़ौमों, ज़बानों और बादशाहों के बारे में मज़ीद नबुव्वत करे।”
<- मुकाशफ़ा 9मुकाशफ़ा 11 ->