2 क्योंकि मैं बोला, “तेरी शफ़क़त हमेशा तक क़ायम है, तूने अपनी वफ़ा की मज़बूत बुनियाद आसमान पर ही रखी है।”
3 तूने फ़रमाया, “मैंने अपने चुने हुए बंदे से अहद बाँधा, अपने ख़ादिम दाऊद से क़सम खाकर वादा किया है,
4 ‘मैं तेरी नसल को हमेशा तक क़ायम रखूँगा, तेरा तख़्त हमेशा तक मज़बूत रखूँगा’।” (सिलाह)
6 क्योंकि बादलों में कौन रब की मानिंद है? इलाही हस्तियों में से कौन रब की मानिंद है?
7 जो भी मुक़द्दसीन की मजलिस में शामिल हैं वह अल्लाह से ख़ौफ़ खाते हैं। जो भी उसके इर्दगिर्द होते हैं उन पर उस की अज़मत और रोब छाया रहता है।
8 ऐ रब, ऐ लशकरों के ख़ुदा, कौन तेरी मानिंद है? ऐ रब, तू क़वी और अपनी वफ़ा से घिरा रहता है।
9 तू ठाठें मारते हुए समुंदर पर हुकूमत करता है। जब वह मौजज़न हो तो तू उसे थमा देता है।
10 तूने समुंदरी अज़दहे रहब को कुचल दिया, और वह मक़तूल की मानिंद बन गया। अपने क़वी बाज़ू से तूने अपने दुश्मनों को तित्तर-बित्तर कर दिया।
11 आसमानो-ज़मीन तेरे ही हैं। दुनिया और जो कुछ उसमें है तूने क़ायम किया।
12 तूने शिमालो-जुनूब को ख़लक़ किया। तबूर और हरमून तेरे नाम की ख़ुशी में नारे लगाते हैं।
13 तेरा बाज़ू क़वी और तेरा हाथ ताक़तवर है। तेरा दहना हाथ अज़ीम काम करने के लिए तैयार है।
14 रास्ती और इनसाफ़ तेरे तख़्त की बुनियाद हैं। शफ़क़त और वफ़ा तेरे आगे आगे चलती हैं।
16 रोज़ाना वह तेरे नाम की ख़ुशी मनाएँगे और तेरी रास्ती से सरफ़राज़ होंगे।
17 क्योंकि तू ही उनकी ताक़त की शान है, और तू अपने करम से हमें सरफ़राज़ करेगा।
18 क्योंकि हमारी ढाल रब ही की है, हमारा बादशाह इसराईल के क़ुद्दूस ही का है।
20 मैंने अपने ख़ादिम दाऊद को पा लिया और उसे अपने मुक़द्दस तेल से मसह किया है।
21 मेरा हाथ उसे क़ायम रखेगा, मेरा बाज़ू उसे तक़वियत देगा।
22 दुश्मन उस पर ग़ालिब नहीं आएगा, शरीर उसे ख़ाक में नहीं मिलाएँगे।
23 उसके आगे आगे मैं उसके दुश्मनों को पाश पाश करूँगा। जो उससे नफ़रत रखते हैं उन्हें ज़मीन पर पटख़ दूँगा।
24 मेरी वफ़ा और मेरी शफ़क़त उसके साथ रहेंगी, मेरे नाम से वह सरफ़राज़ होगा।
25 मैं उसके हाथ को समुंदर पर और उसके दहने हाथ को दरियाओं पर हुकूमत करने दूँगा।
26 वह मुझे पुकारकर कहेगा, ‘तू मेरा बाप, मेरा ख़ुदा और मेरी नजात की चट्टान है।’
27 मैं उसे अपना पहलौठा और दुनिया का सबसे आला बादशाह बनाऊँगा।
28 मैं उसे हमेशा तक अपनी शफ़क़त से नवाज़ता रहूँगा, मेरा उसके साथ अहद कभी तमाम नहीं होगा।
29 मैं उस की नसल हमेशा तक क़ायम रखूँगा, जब तक आसमान क़ायम है उसका तख़्त क़ायम रखूँगा।
30 अगर उसके बेटे मेरी शरीअत तर्क करके मेरे अहकाम पर अमल न करें,
31 अगर वह मेरे फ़रमानों की बेहुरमती करके मेरी हिदायात के मुताबिक़ ज़िंदगी न गुज़ारें
32 तो मैं लाठी लेकर उनकी तादीब करूँगा और मोहलक वबाओं से उनके गुनाहों की सज़ा दूँगा।
33 लेकिन मैं उसे अपनी शफ़क़त से महरूम नहीं करूँगा, अपनी वफ़ा का इनकार नहीं करूँगा।
34 न मैं अपने अहद की बेहुरमती करूँगा, न वह कुछ तबदील करूँगा जो मैंने फ़रमाया है।
35 मैंने एक बार सदा के लिए अपनी क़ुद्दूसियत की क़सम खाकर वादा किया है, और मैं दाऊद को कभी धोका नहीं दूँगा।
36 उस की नसल अबद तक क़ायम रहेगी, उसका तख़्त आफ़ताब की तरह मेरे सामने खड़ा रहेगा।
37 चाँद की तरह वह हमेशा तक बरक़रार रहेगा, और जो गवाह बादलों में है वह वफ़ादार है।” (सिलाह)
39 तूने अपने ख़ादिम का अहद नामंज़ूर किया और उसका ताज ख़ाक में मिलाकर उस की बेहुरमती की है।
40 तूने उस की तमाम फ़सीलें ढाकर उसके क़िलों को मलबे के ढेर बना दिया है।
41 जो भी वहाँ से गुज़रे वह उसे लूट लेता है। वह अपने पड़ोसियों के लिए मज़ाक़ का निशाना बन गया है।
42 तूने उसके मुख़ालिफ़ों का दहना हाथ सरफ़राज़ किया, उसके तमाम दुश्मनों को ख़ुश कर दिया है।
43 तूने उस की तलवार की तेज़ी बेअसर करके उसे जंग में फ़तह पाने से रोक दिया है।
44 तूने उस की शान ख़त्म करके उसका तख़्त ज़मीन पर पटख़ दिया है।
45 तूने उस की जवानी के दिन मुख़तसर करके उसे रुसवाई की चादर में लपेटा है। (सिलाह)
47 याद रहे कि मेरी ज़िंदगी कितनी मुख़तसर है, कि तूने तमाम इनसान कितने फ़ानी ख़लक़ किए हैं।
48 कौन है जिसका मौत से वास्ता न पड़े, कौन है जो हमेशा ज़िंदा रहे? कौन अपनी जान को मौत के क़ब्ज़े से बचाए रख सकता है? (सिलाह)
49 ऐ रब, तेरी वह पुरानी मेहरबानियाँ कहाँ हैं जिनका वादा तूने अपनी वफ़ा की क़सम खाकर दाऊद से किया?
50 ऐ रब, अपने ख़ादिमों की ख़जालत याद कर। मेरा सीना मुतअद्दिद क़ौमों की लान-तान से दुखता है,
51 क्योंकि ऐ रब, तेरे दुश्मनों ने मुझे लान-तान की, उन्होंने तेरे मसह किए हुए ख़ादिम को हर क़दम पर लान-तान की है!