2 वरना वह शेरबबर की तरह मुझे फाड़कर टुकड़े टुकड़े कर देंगे, और बचानेवाला कोई नहीं होगा।
4 अगर मैंने उससे बुरा सुलूक किया जिसका मेरे साथ झगड़ा नहीं था या अपने दुश्मन को ख़ाहमख़ाह लूट लिया हो
5 तो फिर मेरा दुश्मन मेरे पीछे पड़कर मुझे पकड़ ले। वह मेरी जान को मिट्टी में कुचल दे, मेरी इज़्ज़त को ख़ाक में मिलाए। (सिलाह)
7 अक़वाम तेरे इर्दगिर्द जमा हो जाएँ जब तू उनके ऊपर बुलंदियों पर तख़्तनशीन हो जाए।
8 रब अक़वाम की अदालत करता है। ऐ रब, मेरी रास्तबाज़ी और बेगुनाही का लिहाज़ करके मेरा इनसाफ़ कर।
9 ऐ रास्त ख़ुदा, जो दिल की गहराइयों को तह तक जाँच लेता है, बेदीनों की शरारतें ख़त्म कर और रास्तबाज़ को क़ायम रख।
11 अल्लाह आदिल मुंसिफ़ है, ऐसा ख़ुदा जो रोज़ाना लोगों की सरज़निश करता है।
13 लेकिन जो मोहलक हथियार और जलते हुए तीर उसने तैयार कर रखे हैं उनकी ज़द में वह ख़ुद ही आ जाएगा।
14 देख, बुराई का बीज उसमें उग आया है। अब वह शरारत से हामिला होकर फिरता और झूट के बच्चे जन्म देता है।
15 लेकिन जो गढ़ा उसने दूसरों को फँसाने के लिए खोद खोदकर तैयार किया उसमें ख़ुद गिर पड़ा है।
16 वह ख़ुद अपनी शरारत की ज़द में आएगा, उसका ज़ुल्म उसके अपने सर पर नाज़िल होगा।