2 वह धुएँ की तरह बिखर जाएंगे। जिस तरह मोम आग के सामने पिघल जाता है उसी तरह बेदीन अल्लाह के हुज़ूर हलाक हो जाएंगे।
3 लेकिन रास्तबाज़ ख़ुशो-ख़ुर्रम होंगे, वह अल्लाह के हुज़ूर जशन मनाकर फूले न समाएँगे।
5 अल्लाह अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह में यतीमों का बाप और बेवाओं का हामी है।
6 अल्लाह बेघरों को घरों में बसा देता और क़ैदियों को क़ैद से निकालकर ख़ुशहाली अता करता है। लेकिन जो सरकश हैं वह झुलसे हुए मुल्क में रहेंगे।
8 तो ज़मीन लरज़ उठी और आसमान से बारिश टपकने लगी। हाँ, अल्लाह के हुज़ूर जो कोहे-सीना और इसराईल का ख़ुदा है ऐसा ही हुआ।
9 ऐ अल्लाह, तूने कसरत की बारिश बरसने दी। जब कभी तेरा मौरूसी मुल्क निढाल हुआ तो तूने उसे ताज़ादम किया।
10 यों तेरी क़ौम उसमें आबाद हुई। ऐ अल्लाह, अपनी भलाई से तूने उसे ज़रूरतमंदों के लिए तैयार किया।
12 “फ़ौजों के बादशाह भाग रहे हैं। वह भाग रहे हैं और औरतें लूट का माल तक़सीम कर रही हैं।
13 तुम क्यों अपने ज़ीन के दो बोरों के दरमियान बैठे रहते हो? देखो, कबूतर के परों पर चाँदी और उसके शाहपरों पर पीला सोना चढ़ाया गया है।”
14 जब क़ादिरे-मुतलक़ ने वहाँ के बादशाहों को मुंतशिर कर दिया तो कोहे-ज़लमोन पर बर्फ़ पड़ी।
16 ऐ पहाड़ की मुतअद्दिद चोटियो, तुम उस पहाड़ को क्यों रश्क की निगाह से देखती हो जिसे अल्लाह ने अपनी सुकूनतगाह के लिए पसंद किया है? यक़ीनन रब वहाँ हमेशा के लिए सुकूनत करेगा।
17 अल्लाह के बेशुमार रथ और अनगिनत फ़ौजी हैं। ख़ुदावंद उनके दरमियान है, सीना का ख़ुदा मक़दिस में है।
18 तूने बुलंदी पर चढ़कर क़ैदियों का हुजूम गिरिफ़्तार कर लिया, तुझे इनसानों से तोह्फ़े मिले, उनसे भी जो सरकश हो गए थे। यों ही रब ख़ुदा वहाँ सुकूनतपज़ीर हुआ।
20 हमारा ख़ुदा वह ख़ुदा है जो हमें बार बार नजात देता है, रब क़ादिरे-मुतलक़ हमें बार बार मौत से बचने के रास्ते मुहैया करता है।
21 यक़ीनन अल्लाह अपने दुश्मनों के सरों को कुचल देगा। जो अपने गुनाहों से बाज़ नहीं आता उस की खोपड़ी वह पाश पाश करेगा।
22 रब ने फ़रमाया, “मैं उन्हें बसन से वापस लाऊँगा, समुंदर की गहराइयों से वापस पहुँचाऊँगा।
23 तब तू अपने पाँवों को दुश्मन के ख़ून में धो लेगा, और तेरे कुत्ते उसे चाट लेंगे।”
25 आगे गुलूकार, फिर साज़ बजानेवाले चल रहे हैं। उनके आस-पास कुँवारियाँ दफ़ बजाते हुए फिर रही हैं।
26 “जमातों में अल्लाह की सताइश करो! जितने भी इसराईल के सरचश्मे से निकले हुए हो रब की तमजीद करो!”
27 वहाँ सबसे छोटा भाई बिनयमीन आगे चल रहा है, फिर यहूदाह के बुज़ुर्गों का पुरशोर हुजूम ज़बूलून और नफ़ताली के बुज़ुर्गों के साथ चल रहा है।
29 उसे यरूशलम के ऊपर अपनी सुकूनतगाह से दिखा। तब बादशाह तेरे हुज़ूर तोह्फ़े लाएँगे।
30 सरकंडों में छुपे हुए दरिंदे को मलामत कर! साँडों का जो ग़ोल बछड़ों जैसी क़ौमों में रहता है उसे डाँट! उन्हें कुचल दे जो चाँदी को प्यार करते हैं। उन क़ौमों को मुंतशिर कर जो जंग करने से लुत्फ़अंदोज़ होती हैं।
31 मिसर से सफ़ीर आएँगे, एथोपिया अपने हाथ अल्लाह की तरफ़ उठाएगा।
33 जो अपने रथ पर सवार होकर क़दीम ज़माने के बुलंदतरीन आसमानों में से गुज़रता है। सुनो उस की आवाज़ जो ज़ोर से गरज रहा है।
34 अल्लाह की क़ुदरत को तसलीम करो! उस की अज़मत इसराईल पर छाई रहती और उस की क़ुदरत आसमान पर है।
35 ऐ अल्लाह, तू अपने मक़दिस से ज़ाहिर होते वक़्त कितना महीब है। इसराईल का ख़ुदा ही क़ौम को क़ुव्वत और ताक़त अता करता है। अल्लाह की तमजीद हो!
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