2 उसके नाम के जलाल की तमजीद करो, उस की सताइश उरूज तक ले जाओ!
3 अल्लाह से कहो, “तेरे काम कितने पुरजलाल हैं। तेरी बड़ी क़ुदरत के सामने तेरे दुश्मन दबककर तेरी ख़ुशामद करने लगते हैं।
4 तमाम दुनिया तुझे सिजदा करे! वह तेरी तारीफ़ में गीत गाए, तेरे नाम की सताइश करे।” (सिलाह)
6 उसने समुंदर को ख़ुश्क ज़मीन में बदल दिया। जहाँ पहले पानी का तेज़ बहाव था वहाँ से लोग पैदल ही गुज़रे। चुनाँचे आओ, हम उस की ख़ुशी मनाएँ।
7 अपनी क़ुदरत से वह अबद तक हुकूमत करता है। उस की आँखें क़ौमों पर लगी रहती हैं ताकि सरकश उसके ख़िलाफ़ न उठें। (सिलाह)
9 क्योंकि वह हमारी ज़िंदगी क़ायम रखता, हमारे पाँवों को डगमगाने नहीं देता।
11 तूने हमें जाल में फँसा दिया, हमारी कमर पर अज़ियतनाक बोझ डाल दिया।
12 तूने लोगों के रथों को हमारे सरों पर से गुज़रने दिया, और हम आग और पानी की ज़द में आ गए। लेकिन फिर तूने हमें मुसीबत से निकालकर फ़रावानी की जगह पहुँचाया।
14 वह मन्नतें जो मेरे मुँह ने मुसीबत के वक़्त मानी थीं।
15 भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर मैं तुझे मोटी-ताज़ी भेड़ें और मेंढों का धुआँ पेश करूँगा, साथ साथ बैल और बकरे भी चढ़ाऊँगा। (सिलाह)
17 मैंने अपने मुँह से उसे पुकारा, लेकिन मेरी ज़बान उस की तारीफ़ करने के लिए तैयार थी।
18 अगर मैं दिल में गुनाह की परवरिश करता तो रब मेरी न सुनता।
19 लेकिन यक़ीनन रब ने मेरी सुनी, उसने मेरी इल्तिजा पर तवज्जुह दी।
20 अल्लाह की हम्द हो, जिसने न मेरी दुआ रद्द की, न अपनी शफ़क़त मुझसे बाज़ रखी।
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