2 छोटे और बड़े, अमीर और ग़रीब सब तवज्जुह दें।
3 मेरा मुँह हिकमत बयान करेगा और मेरे दिल का ग़ौरो-ख़ौज़ समझ अता करेगा।
4 मैं अपना कान एक कहावत की तरफ़ झुकाऊँगा, सरोद बजाकर अपनी पहेली का हल बताऊँगा।
6 ऐसे लोग अपनी मिलकियत पर एतमाद और अपनी बड़ी दौलत पर फ़ख़र करते हैं।
7 कोई भी फ़िद्या देकर अपने भाई की जान को नहीं छुड़ा सकता। वह अल्लाह को इस क़िस्म का तावान नहीं दे सकता।
8 क्योंकि इतनी बड़ी रक़म देना उसके बस की बात नहीं। आख़िरकार उसे हमेशा के लिए ऐसी कोशिशों से बाज़ आना पड़ेगा।
9 चुनाँचे कोई भी हमेशा के लिए ज़िंदा नहीं रह सकता, आख़िरकार हर एक मौत के गढ़े में उतरेगा।
10 क्योंकि हर एक देख सकता है कि दानिशमंद भी वफ़ात पाते और अहमक़ और नासमझ भी मिलकर हलाक हो जाते हैं। सबको अपनी दौलत दूसरों के लिए छोड़नी पड़ती है।
11 उनकी क़ब्रें अबद तक उनके घर बनी रहेंगी, पुश्त-दर-पुश्त वह उनमें बसे रहेंगे, गो उन्हें ज़मीनें हासिल थीं जो उनके नाम पर थीं।
13 यह उन सबकी तक़दीर है जो अपने आप पर एतमाद रखते हैं, और उन सबका अंजाम जो उनकी बातें पसंद करते हैं। (सिलाह)
14 उन्हें भेड़-बकरियों की तरह पाताल में लाया जाएगा, और मौत उन्हें चराएगी। क्योंकि सुबह के वक़्त दियानतदार उन पर हुकूमत करेंगे। तब उनकी शक्लो-सूरत घिसे-फटे कपड़े की तरह गल-सड़ जाएगी, पाताल ही उनकी रिहाइशगाह होगा।
15 लेकिन अल्लाह मेरी जान का फ़िद्या देगा, वह मुझे पकड़कर पाताल की गिरिफ़्त से छुड़ाएगा। (सिलाह)
17 मरते वक़्त तो वह अपने साथ कुछ नहीं ले जाएगा, उस की शानो-शौकत उसके साथ पाताल में नहीं उतरेगी।
18 बेशक वह जीते-जी अपने आपको मुबारक कहेगा, और दूसरे भी खाते-पीते आदमी की तारीफ़ करेंगे।
19 फिर भी वह आख़िरकार अपने बापदादा की नसल के पास उतरेगा, उनके पास जो दुबारा कभी रौशनी नहीं देखेंगे।