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48
अल्लाह का शहर यरूशलम
1 गीत। क़ोरह की औलाद का ज़बूर।
रब अज़ीम और बड़ी तारीफ़ के लायक़ है। उसका मुक़द्दस पहाड़ हमारे ख़ुदा के शहर में है।

2 कोहे-सिय्यून की बुलंदी ख़ूबसूरत है, पूरी दुनिया उससे ख़ुश होती है। कोहे-सिय्यून दूरतरीन शिमाल का इलाही पहाड़ ही है, वह अज़ीम बादशाह का शहर है।

3 अल्लाह उसके महलों में है, वह उस की पनाहगाह साबित हुआ है।

4 क्योंकि देखो, बादशाह जमा होकर यरूशलम से लड़ने आए।

5 लेकिन उसे देखते ही वह हैरान हुए, वह दहशत खाकर भाग गए।

6 वहाँ उन पर कपकपी तारी हुई, और वह दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खाने लगे।

7 जिस तरह मशरिक़ी आँधी तरसीस के शानदार जहाज़ों को टुकड़े टुकड़े कर देती है उसी तरह तूने उन्हें तबाह कर दिया।

 
8 जो कुछ हमने सुना है वह हमारे देखते देखते रब्बुल-अफ़वाज हमारे ख़ुदा के शहर पर सादिक़ आया है, अल्लाह उसे अबद तक क़ायम रखेगा। (सिलाह)

9 ऐ अल्लाह, हमने तेरी सुकूनतगाह में तेरी शफ़क़त पर ग़ौरो-ख़ौज़ किया है।

10 ऐ अल्लाह, तेरा नाम इस लायक़ है कि तेरी तारीफ़ दुनिया की इंतहा तक की जाए। तेरा दहना हाथ रास्ती से भरा रहता है।

11 कोहे-सिय्यून शादमान हो, यहूदाह की बेटियाँ [a] तेरे मुंसिफ़ाना फ़ैसलों के बाइस ख़ुशी मनाएँ।

 
12 सिय्यून के इर्दगिर्द घूमो फिरो, उस की फ़सील के साथ साथ चलकर उसके बुर्ज गिन लो।

13 उस की क़िलाबंदी पर ख़ूब ध्यान दो, उसके महलों का मुआयना करो ताकि आनेवाली नसल को सब कुछ सुना सको।

14 यक़ीनन अल्लाह हमारा ख़ुदा हमेशा तक ऐसा ही है। वह अबद तक हमारी राहनुमाई करेगा।

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