2 रब उस की हिफ़ाज़त करके उस की ज़िंदगी को महफ़ूज़ रखेगा, वह मुल्क में उसे बरकत देकर उसे उसके दुश्मनों के लालच के हवाले नहीं करेगा।
3 बीमारी के वक़्त रब उसको बिस्तर पर सँभालेगा। तू उस की सेहत पूरी तरह बहाल करेगा।
5 मेरे दुश्मन मेरे बारे में ग़लत बातें करके कहते हैं, “वह कब मरेगा? उसका नामो-निशान कब मिटेगा?”
6 जब कभी कोई मुझसे मिलने आए तो उसका दिल झूट बोलता है। पसे-परदा वह ऐसी नुक़सानदेह मालूमात जमा करता है जिन्हें बाद में बाहर जाकर गलियों में फैला सके।
7 मुझसे नफ़रत करनेवाले सब आपस में मेरे ख़िलाफ़ फुसफुसाते हैं। वह मेरे ख़िलाफ़ बुरे मनसूबे बाँधकर कहते हैं,
8 “उसे मोहलक मरज़ लग गया है। वह कभी अपने बिस्तर पर से दुबारा नहीं उठेगा।”
9 मेरा दोस्त भी मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ है। जिस पर मैं एतमाद करता था और जो मेरी रोटी खाता था, उसने मुझ पर लात उठाई है।
11 इससे मैं जानता हूँ कि तू मुझसे ख़ुश है कि मेरा दुश्मन मुझ पर फ़तह के नारे नहीं लगाता।
12 तूने मुझे मेरी दियानतदारी के बाइस क़ायम रखा और हमेशा के लिए अपने हुज़ूर खड़ा किया है।