2 क्योंकि वह घास की तरह जल्द ही मुरझा जाएंगे, हरियाली की तरह जल्द ही सूख जाएंगे।
3 रब पर भरोसा रखकर भलाई कर, मुल्क में रहकर वफ़ादारी की परवरिश कर।
4 रब से लुत्फ़अंदोज़ हो तो जो तेरा दिल चाहे वह तुझे देगा।
5 अपनी राह रब के सुपुर्द कर। उस पर भरोसा रख तो वह तुझे कामयाबी बख़्शेगा।
6 तब वह तेरी रास्तबाज़ी सूरज की तरह तुलू होने देगा और तेरा इनसाफ़ दोपहर की रौशनी की तरह चमकने देगा।
7 रब के हुज़ूर चुप होकर सब्र से उसका इंतज़ार कर। बेक़रार न हो अगर साज़िशें करनेवाला कामयाब हो।
8 ख़फ़ा होने से बाज़ आ, ग़ुस्से को छोड़ दे। रंजीदा न हो, वरना बुरा ही नतीजा निकलेगा।
10 मज़ीद थोड़ी देर सब्र कर तो बेदीन का नामो-निशान मिट जाएगा। तू उसका खोज लगाएगा, लेकिन कहीं नहीं पाएगा।
11 लेकिन हलीम मुल्क को मीरास में पाकर बड़े अमन और सुकून से लुत्फ़अंदोज़ होंगे।
12 बेशक बेदीन दाँत पीस पीसकर रास्तबाज़ के ख़िलाफ़ साज़िशें करता रहे।
13 लेकिन रब उस पर हँसता है, क्योंकि वह जानता है कि उसका अंजाम क़रीब ही है।
14 बेदीनों ने तलवार को खींचा और कमान को तान लिया है ताकि नाचारों और ज़रूरतमंदों को गिरा दें और सीधी राह पर चलनेवालों को क़त्ल करें।
15 लेकिन उनकी तलवार उनके अपने दिल में घोंपी जाएगी, उनकी कमान टूट जाएगी।
17 क्योंकि बेदीनों का बाज़ू टूट जाएगा जबकि रब रास्तबाज़ों को सँभालता है।
18 रब बेइलज़ामों के दिन जानता है, और उनकी मौरूसी मिलकियत हमेशा के लिए क़ायम रहेगी।
19 मुसीबत के वक़्त वह शर्मसार नहीं होंगे, काल भी पड़े तो सेर होंगे।
20 लेकिन बेदीन हलाक हो जाएंगे, और रब के दुश्मन चरागाहों की शान की तरह नेस्त हो जाएंगे, धुएँ की तरह ग़ायब हो जाएंगे।
21 बेदीन क़र्ज़ लेता और उसे नहीं उतारता, लेकिन रास्तबाज़ मेहरबान है और फ़ैयाज़ी से देता है।
22 क्योंकि जिन्हें रब बरकत दे वह मुल्क को मीरास में पाएँगे, लेकिन जिन पर वह लानत भेजे उनका नामो-निशान तक नहीं रहेगा।
23 अगर किसी के पाँव जम जाएँ तो यह रब की तरफ़ से है। ऐसे शख़्स की राह को वह पसंद करता है।
24 अगर गिर भी जाए तो पड़ा नहीं रहेगा, क्योंकि रब उसके हाथ का सहारा बना रहेगा।
26 वह हमेशा मेहरबान और क़र्ज़ देने के लिए तैयार है। उस की औलाद बरकत का बाइस होगी।
28 क्योंकि रब को इनसाफ़ प्यारा है, और वह अपने ईमानदारों को कभी तर्क नहीं करेगा। वह अबद तक महफ़ूज़ रहेंगे जबकि बेदीनों की औलाद का नामो-निशान तक नहीं रहेगा।
29 रास्तबाज़ मुल्क को मीरास में पाकर उसमें हमेशा बसेंगे।
30 रास्तबाज़ का मुँह हिकमत बयान करता और उस की ज़बान से इनसाफ़ निकलता है।
31 अल्लाह की शरीअत उसके दिल में है, और उसके क़दम कभी नहीं डगमगाएँगे।
32 बेदीन रास्तबाज़ की ताक में बैठकर उसे मार डालने का मौक़ा ढूँडता है।
33 लेकिन रब रास्तबाज़ को उसके हाथ में नहीं छोड़ेगा, वह उसे अदालत में मुजरिम नहीं ठहरने देगा।
34 रब के इंतज़ार में रह और उस की राह पर चलता रह। तब वह तुझे सरफ़राज़ करके मुल्क का वारिस बनाएगा, और तू बेदीनों की हलाकत देखेगा।
36 लेकिन थोड़ी देर के बाद जब मैं दुबारा वहाँ से गुज़रा तो वह था नहीं। मैंने उसका खोज लगाया, लेकिन कहीं न मिला।
37 बेइलज़ाम पर ध्यान दे और दियानतदार पर ग़ौर कर, क्योंकि आख़िरकार उसे अमन और सुकून हासिल होगा।
38 लेकिन मुजरिम मिलकर तबाह हो जाएंगे, और बेदीनों को आख़िरकार रूए-ज़मीन पर से मिटाया जाएगा।
39 रास्तबाज़ों की नजात रब की तरफ़ से है, मुसीबत के वक़्त वही उनका क़िला है।
40 रब ही उनकी मदद करके उन्हें छुटकारा देगा, वही उन्हें बेदीनों से बचाकर नजात देगा। क्योंकि उन्होंने उसमें पनाह ली है।
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