2 तूने उस की दिली ख़ाहिश पूरी की और इनकार न किया जब उस की आरज़ू ने होंटों पर अलफ़ाज़ का रूप धारा। (सिलाह)
3 क्योंकि तू अच्छी अच्छी बरकतें अपने साथ लेकर उससे मिलने आया, तूने उसे ख़ालिस सोने का ताज पहनाया।
4 उसने तुझसे ज़िंदगी पाने की आरज़ू की तो तूने उसे उम्र की दराज़ी बख़्शी, मज़ीद इतने दिन कि उनकी इंतहा नहीं।
5 तेरी नजात से उसे बड़ी इज़्ज़त हासिल हुई, तूने उसे शानो-शौकत से आरास्ता किया।
6 क्योंकि तू उसे अबद तक बरकत देता, उसे अपने चेहरे के हुज़ूर लाकर निहायत ख़ुश कर देता है।
7 क्योंकि बादशाह रब पर एतमाद करता है, अल्लाह तआला की शफ़क़त उसे डगमगाने से बचाएगी।
9 जब तू उन पर ज़ाहिर होगा तो वह भड़कती भट्टी की-सी मुसीबत में फँस जाएंगे। रब अपने ग़ज़ब में उन्हें हड़प कर लेगा, और आग उन्हें खा जाएगी।
10 तू उनकी औलाद को रूए-ज़मीन पर से मिटा डालेगा, इनसानों में उनका नामो-निशान तक नहीं रहेगा।
11 गो वह तेरे ख़िलाफ़ साज़िशें करते हैं तो भी उनके बुरे मनसूबे नाकाम रहेंगे।
12 क्योंकि तू उन्हें भगाकर उनके चेहरों को अपने तीरों का निशाना बना देगा।
13 ऐ रब, उठ और अपनी क़ुदरत का इज़हार कर ताकि हम तेरी क़ुदरत की तमजीद में साज़ बजाकर गीत गाएँ।
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