2 एक दिन दूसरे को इत्तला देता, एक रात दूसरी को ख़बर पहुँचाती है,
3 लेकिन ज़बान से नहीं। गो उनकी आवाज़ सुनाई नहीं देती,
4 तो भी उनकी आवाज़ निकलकर पूरी दुनिया में सुनाई देती, उनके अलफ़ाज़ दुनिया की इंतहा तक पहुँच जाते हैं। वहाँ अल्लाह ने आफ़ताब के लिए ख़ैमा लगाया है।
5 जिस तरह दूल्हा अपनी ख़ाबगाह से निकलता है उसी तरह सूरज निकलकर पहलवान की तरह अपनी दौड़ दौड़ने पर ख़ुशी मनाता है।
6 आसमान के एक सिरे से चढ़कर उसका चक्कर दूसरे सिरे तक लगता है। उस की तपती गरमी से कोई भी चीज़ पोशीदा नहीं रहती।
8 रब की हिदायात बा-इनसाफ़ हैं, उनसे दिल बाग़ बाग़ हो जाता है। रब के अहकाम पाक हैं, उनसे आँखें चमक उठती हैं।
9 रब का ख़ौफ़ पाक है और अबद तक क़ायम रहेगा। रब के फ़रमान सच्चे और सबके सब रास्त हैं।
10 वह सोने बल्कि ख़ालिस सोने के ढेर से ज़्यादा मरग़ूब हैं। वह शहद बल्कि छत्ते के ताज़ा शहद से ज़्यादा मीठे हैं।
12 जो ख़ताएँ बेख़बरी में सरज़द हुईं कौन उन्हें जानता है? मेरे पोशीदा गुनाहों को मुआफ़ कर!
13 अपने ख़ादिम को गुस्ताखों से महफ़ूज़ रख ताकि वह मुझ पर हुकूमत न करें। तब मैं बेइलज़ाम होकर संगीन गुनाह से पाक रहूँगा।