2 ऐ उसके तमाम फ़रिश्तो, उस की हम्द करो! ऐ उसके तमाम लशकरो, उस की तारीफ़ करो!
3 ऐ सूरज और चाँद, उस की हम्द करो! ऐ तमाम चमकदार सितारो, उस की सताइश करो!
4 ऐ बुलंदतरीन आसमानो और आसमान के ऊपर के पानी, उस की हम्द करो!
6 उसने नाक़ाबिले-मनसूख़ फ़रमान जारी करके उन्हें हमेशा के लिए क़ायम किया है।
8 ऐ आग, ओलो, बर्फ़, धुंध और उसके हुक्म पर चलनेवाली आँधियो, उस की हम्द करो!
9 ऐ पहाड़ो और पहाड़ियो, फलदार दरख़तो और तमाम देवदारो, उस की तारीफ़ करो!
10 ऐ जंगली जानवरो, मवीशियो, रेंगनेवाली मख़लूक़ात और परिंदो, उस की हम्द करो!
11 ऐ ज़मीन के बादशाहो और तमाम क़ौमो, सरदारो और ज़मीन के तमाम हुक्मरानो, उस की तमजीद करो!
12 ऐ नौजवानो और कुँवारियो, बुज़ुर्गो और बच्चो, उस की हम्द करो!
14 उसने अपनी क़ौम को सरफ़राज़ करके *लफ़्ज़ी तरजुमा : अपनी क़ौम का सींग बुलंद करके। अपने तमाम ईमानदारों की शोहरत बढ़ाई है, यानी इसराईलियों की शोहरत, उस क़ौम की जो उसके क़रीब रहती है। रब की हम्द हो!
<- ज़बूर 147ज़बूर 149 ->- a लफ़्ज़ी तरजुमा : अपनी क़ौम का सींग बुलंद करके।