2 रब यरूशलम को तामीर करता और इसराईल के मुंतशिर जिलावतनों को जमा करता है।
3 वह दिलशिकस्तों को शफ़ा देकर उनके ज़ख़मों पर मरहम-पट्टी लगाता है।
4 वह सितारों की तादाद गिन लेता और हर एक का नाम लेकर उन्हें बुलाता है।
5 हमारा रब अज़ीम है, और उस की क़ुदरत ज़बरदस्त है। उस की हिकमत की कोई इंतहा नहीं।
6 रब मुसीबतज़दों को उठा खड़ा करता लेकिन बदकारों को ख़ाक में मिला देता है।
8 क्योंकि वह आसमान पर बादल छाने देता, ज़मीन को बारिश मुहैया करता और पहाड़ों पर घास फूटने देता है।
9 वह मवेशी को चारा और कौवे के बच्चों को वह कुछ खिलाता है जो वह शोर मचाकर माँगते हैं।
11 रब उन्हीं से ख़ुश होता है जो उसका ख़ौफ़ मानते और उस की शफ़क़त के इंतज़ार में रहते हैं।
13 क्योंकि उसने तेरे दरवाज़ों के कुंडे मज़बूत करके तेरे दरमियान बसनेवाली औलाद को बरकत दी है।
14 वही तेरे इलाक़े में अमन और सुकून क़ायम रखता और तुझे बेहतरीन गंदुम से सेर करता है।
15 वह अपना फ़रमान ज़मीन पर भेजता है तो उसका कलाम तेज़ी से पहुँचता है।
16 वह ऊन जैसी बर्फ़ मुहैया करता और पाला राख की तरह चारों तरफ़ बिखेर देता है।
17 वह अपने ओले कंकरों की तरह ज़मीन पर फेंक देता है। कौन उस की शदीद सर्दी बरदाश्त कर सकता है?
18 वह एक बार फिर अपना फ़रमान भेजता है तो बर्फ़ पिघल जाती है। वह अपनी हवा चलने देता है तो पानी टपकने लगता है।
20 ऐसा सुलूक उसने किसी और क़ौम से नहीं किया। दीगर अक़वाम तो तेरे अहकाम नहीं जानतीं। रब की हम्द हो!
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