2 जो रब के घर में, हमारे ख़ुदा की बारगाहों में खड़े हो।
3 रब की हम्द करो, क्योंकि रब भला है। उसके नाम की मद्हसराई करो, क्योंकि वह प्यारा है।
4 क्योंकि रब ने याक़ूब को अपने लिए चुन लिया, इसराईल को अपनी मिलकियत बना लिया है।
6 रब जो जी चाहे करता है, ख़ाह आसमान पर हो या ज़मीन पर, ख़ाह समुंदरों में हो या गहराइयों में कहीं भी हो।
7 वह ज़मीन की इंतहा से बादल चढ़ने देता और बिजली बारिश के लिए पैदा करता है, वह हवा अपने गोदामों से निकाल लाता है।
8 मिसर में उसने इनसानो-हैवान के तमाम पहलौठों को मार डाला।
9 ऐ मिसर, उसने अपने इलाही निशान और मोजिज़ात तेरे दरमियान ही किए। तब फ़िरौन और उसके तमाम मुलाज़िम उनका निशाना बन गए।
11 अमोरियों का बादशाह सीहोन, बसन का बादशाह ओज और मुल्के-कनान की तमाम सलतनतें न रहीं।
12 उसने उनका मुल्क इसराईल को देकर फ़रमाया कि आइंदा यह मेरी क़ौम की मौरूसी मिलकियत होगा।
14 क्योंकि रब अपनी क़ौम का इनसाफ़ करके अपने ख़ादिमों पर तरस खाएगा।
16 उनके मुँह हैं लेकिन वह बोल नहीं सकते, उनकी आँखें हैं लेकिन वह देख नहीं सकते।
17 उनके कान हैं लेकिन वह सुन नहीं सकते, उनके मुँह में साँस ही नहीं होती।
18 जो बुत बनाते हैं वह उनकी मानिंद हो जाएँ, जो उन पर भरोसा रखते हैं वह उन जैसे बेहिसो-हरकत हो जाएँ।
20 ऐ लावी के घराने, रब की हम्दो-सना कर। ऐ रब का ख़ौफ़ माननेवालो, रब की सताइश करो।
21 सिय्यून से रब की हम्द हो। उस की हम्द हो जो यरूशलम में सुकूनत करता है। रब की हम्द हो!
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