2 दीगर अक़वाम क्यों कहें, “उनका ख़ुदा कहाँ है?”
3 हमारा ख़ुदा तो आसमान पर है, और जो जी चाहे करता है।
5 उनके मुँह हैं लेकिन वह बोल नहीं सकते। उनकी आँखें हैं लेकिन वह देख नहीं सकते।
6 उनके कान हैं लेकिन वह सुन नहीं सकते, उनकी नाक है लेकिन वह सूँघ नहीं सकते।
7 उनके हाथ हैं, लेकिन वह छू नहीं सकते। उनके पाँव हैं, लेकिन वह चल नहीं सकते। उनके गले से आवाज़ नहीं निकलती।
8 जो बुत बनाते हैं वह उनकी मानिंद हो जाएँ, जो उन पर भरोसा रखते हैं वह उन जैसे बेहिसो-हरकत हो जाएँ।
10 ऐ हारून के घराने, रब पर भरोसा रख! वही तेरा सहारा और तेरी ढाल है।
11 ऐ रब का ख़ौफ़ माननेवालो, रब पर भरोसा रखो! वही तुम्हारा सहारा और तुम्हारी ढाल है।
13 वह रब का ख़ौफ़ माननेवालों को बरकत देगा, ख़ाह छोटे हों या बड़े।
14 रब तुम्हारी तादाद में इज़ाफ़ा करे, तुम्हारी भी और तुम्हारी औलाद की भी।
15 रब जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है तुम्हें बरकत से मालामाल करे।
16 आसमान तो रब का है, लेकिन ज़मीन को उसने आदमज़ादों को बख़्श दिया है।
17 ऐ रब, मुरदे तेरी सताइश नहीं करते, ख़ामोशी के मुल्क में उतरनेवालों में से कोई भी तेरी तमजीद नहीं करता।
18 लेकिन हम रब की सताइश अब से अबद तक करेंगे। रब की हम्द हो!
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