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113
अल्लाह की अज़मत और मेहरबानी
1 रब की हम्द हो! ऐ रब के ख़ादिमो, रब के नाम की सताइश करो, रब के नाम की तारीफ़ करो।

2 रब के नाम की अब से अबद तक तमजीद हो।

3 तुलूए-सुबह से ग़ुरूबे-आफ़ताब तक रब के नाम की हम्द हो।

4 रब तमाम अक़वाम से सरबुलंद है, उसका जलाल आसमान से अज़ीम है।

5 कौन रब हमारे ख़ुदा की मानिंद है जो बुलंदियों पर तख़्तनशीन है

6 और आसमानो-ज़मीन को देखने के लिए नीचे झुकता है?

7 पस्तहाल को वह ख़ाक में से उठाकर पाँवों पर खड़ा करता, मुहताज को राख से निकालकर सरफ़राज़ करता है।

8 वह उसे शुरफ़ा के साथ, अपनी क़ौम के शुरफ़ा के साथ बिठा देता है।

9 बाँझ को वह औलाद अता करता है ताकि वह घर में ख़ुशी से ज़िंदगी गुज़ार सके। रब की हम्द हो!

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