2 ऐ मेरी जान, रब की सताइश कर और जो कुछ उसने तेरे लिए किया है उसे भूल न जा।
3 क्योंकि वह तेरे तमाम गुनाहों को मुआफ़ करता, तुझे तमाम बीमारियों से शफ़ा देता है।
4 वह एवज़ाना देकर तेरी जान को मौत के गढ़े से छुड़ा लेता, तेरे सर को अपनी शफ़क़त और रहमत के ताज से आरास्ता करता है।
5 वह तेरी ज़िंदगी को अच्छी चीज़ों से सेर करता है, और तू दुबारा जवान होकर उक़ाब की-सी तक़वियत पाता है।
7 उसने अपनी राहें मूसा पर और अपने अज़ीम काम इसराईलियों पर ज़ाहिर किए।
8 रब रहीम और मेहरबान है, वह तहम्मुल और शफ़क़त से भरपूर है।
9 न वह हमेशा डाँटता रहेगा, न अबद तक नाराज़ रहेगा।
10 न वह हमारी ख़ताओं के मुताबिक़ सज़ा देता, न हमारे गुनाहों का मुनासिब अज्र देता है।
11 क्योंकि जितना बुलंद आसमान है, उतनी ही अज़ीम उस की शफ़क़त उन पर है जो उसका ख़ौफ़ मानते हैं।
12 जितनी दूर मशरिक़ मग़रिब से है उतना ही उसने हमारे क़ुसूर हमसे दूर कर दिए हैं।
13 जिस तरह बाप अपने बच्चों पर तरस खाता है उसी तरह रब उन पर तरस खाता है जो उसका ख़ौफ़ मानते हैं।
15 इनसान के दिन घास की मानिंद हैं, और वह जंगली फूल की तरह ही फलता-फूलता है।
16 जब उस पर से हवा गुज़रे तो वह नहीं रहता, और उसके नामो-निशान का भी पता नहीं चलता।
18 शर्त यह है कि वह उसके अहद के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें और ध्यान से उसके अहकाम पर अमल करें।
20 ऐ रब के फ़रिश्तो, उसके ताक़तवर सूरमाओ, जो उसके फ़रमान पूरे करते हो ताकि उसका कलाम माना जाए, रब की सताइश करो!
21 ऐ तमाम लशकरो, तुम सब जो उसके ख़ादिम हो और उस की मरज़ी पूरी करते हो, रब की सताइश करो!
22 तुम सब जिन्हें उसने बनाया, रब की सताइश करो! उस की सलतनत की हर जगह पर उस की तमजीद करो। ऐ मेरी जान, रब की सताइश कर!
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