6 उस की बातों में इज़ाफ़ा मत कर, वरना वह तुझे डाँटेगा और तू झूटा ठहरेगा।
10 मालिक के सामने मुलाज़िम पर तोहमत न लगा, ऐसा न हो कि वह तुझ पर लानत भेजे और तुझे इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़े।
12 ऐसी नसल भी है जो अपनी नज़र में पाक-साफ़ है, गो उस की ग़िलाज़त दूर नहीं हुई।
13 ऐसी नसल भी है जिसकी आँखें बड़े तकब्बुर से देखती हैं, जो अपनी पलकें बड़े घमंड से मारती है।
14 ऐसी नसल भी है जिसके दाँत तलवारें और जबड़े छुरियाँ हैं ताकि दुनिया के मुसीबतज़दों को खा जाएँ, मुआशरे के ज़रूरतमंदों को हड़प कर लें।
17 जो आँख बाप का मज़ाक़ उड़ाए और माँ की हिदायत को हक़ीर जाने उसे वादी के कौवे अपनी चोंचों से निकालेंगे और गिद्ध के बच्चे खा जाएंगे।
18 तीन बातें मुझे हैरतज़दा करती हैं बल्कि चार हैं जिनकी मुझे समझ नहीं आती, 19 आसमान की बुलंदियों पर उक़ाब की राह, चट्टान पर साँप की राह, समुंदर के बीच में जहाज़ की राह और वह राह जो मर्द कुँवारी के साथ चलता है।
20 ज़िनाकार औरत की यह राह है, वह खा लेती और फिर अपना मुँह पोंछकर कहती है, “मुझसे कोई ग़लती नहीं हुई।”
21 ज़मीन तीन चीज़ों से लरज़ उठती है बल्कि चार चीज़ें बरदाश्त नहीं कर सकती, 22 वह ग़ुलाम जो बादशाह बन जाए, वह अहमक़ जो जी भरकर खाना खा सके, 23 वह नफ़रतअंगेज़ [a] औरत जिसकी शादी हो जाए और वह नौकरानी जो अपनी मालिकन की मिलकियत पर क़ब्ज़ा करे।
24 ज़मीन की चार मख़लूक़ात निहायत ही दानिशमंद हैं हालाँकि छोटी हैं। 25 चियूँटियाँ कमज़ोर नसल हैं लेकिन गरमियों के मौसम में सर्दियों के लिए ख़ुराक जमा करती हैं, 26 बिज्जू कमज़ोर नसल हैं लेकिन चट्टानों में ही अपने घर बना लेते हैं, 27 टिड्डियों का बादशाह नहीं होता ताहम सब परे बाँधकर निकलती हैं, 28 छिपकलियाँ गो हाथ से पकड़ी जाती हैं, ताहम शाही महलों में पाई जाती हैं।
29 तीन बल्कि चार जानदार पुरवक़ार अंदाज़ में चलते हैं। 30 पहले, शेरबबर जो जानवरों में ज़ोरावर है और किसी से भी पीछे नहीं हटता, 31 दूसरे, मुरग़ा जो अकड़कर चलता है, तीसरे, बकरा और चौथे अपनी फ़ौज के साथ चलनेवाला बादशाह।
32 अगर तूने मग़रूर होकर हमाक़त की या बुरे मनसूबे बाँधे तो अपने मुँह पर हाथ रखकर ख़ामोश हो जा, 33 क्योंकि दूध बिलोने से मक्खन, नाक को मरोड़ने [b] से ख़ून और किसी को ग़ुस्सा दिलाने से लड़ाई-झगड़ा पैदा होता है।
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