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7
मक़दिस की मख़सूसियत के हदिये
1 जिस दिन मक़दिस मुकम्मल हुआ उसी दिन मूसा ने उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। इसके लिए उसने ख़ैमे, उसके तमाम सामान, क़ुरबानगाह और उसके तमाम सामान पर तेल छिड़का। 2-3 फिर क़बीलों के बारह सरदार मक़दिस के लिए हदिये लेकर आए। यह वही राहनुमा थे जिन्होंने मर्दुमशुमारी के वक़्त मूसा की मदद की थी। उन्होंने छतवाली छ: बैलगाड़ियाँ और बारह बैल ख़ैमे के सामने रब को पेश किए, दो दो सरदारों की तरफ़ से एक बैलगाड़ी और हर एक सरदार की तरफ़ से एक बैल।

4 रब ने मूसा से कहा, 5 “यह तोह्फ़े क़बूल करके मुलाक़ात के ख़ैमे के काम के लिए इस्तेमाल कर। उन्हें लावियों में उनकी ख़िदमत की ज़रूरत के मुताबिक़ तक़सीम करना।” 6 चुनाँचे मूसा ने बैलगाड़ियाँ और बैल लावियों को दे दिए। 7 उसने दो बैलगाड़ियाँ चार बैलों समेत जैरसोनियों को 8 और चार बैलगाड़ियाँ आठ बैलों समेत मिरारियों को दीं। मिरारी हारून इमाम के बेटे इतमर के तहत ख़िदमत करते थे। 9 लेकिन मूसा ने क़िहातियों को न बैलगाड़ियाँ और न बैल दिए। वजह यह थी कि जो मुक़द्दस चीज़ें उनके सुपुर्द थीं वह उनको कंधों पर उठाकर ले जानी थीं।

10 बारह सरदार क़ुरबानगाह की मख़सूसियत के मौक़े पर भी हदिये ले आए। उन्होंने अपने हदिये क़ुरबानगाह के सामने पेश किए। 11 रब ने मूसा से कहा, “सरदार बारह दिन के दौरान बारी बारी अपने हदिये पेश करें।” 12 पहले दिन यहूदाह के सरदार नहसोन बिन अम्मीनदाब की बारी थी। उसके हदिये यह थे : 13 चाँदी का थाल जिसका वज़न डेढ़ किलोग्राम था और छिड़काव का चाँदी का कटोरा जिसका वज़न 800 ग्राम था। दोनों ग़ल्ला की नज़र के लिए तेल के साथ मिलाए गए बेहतरीन मैदे से भरे हुए थे। 14 इनके अलावा नहसोन ने यह चीज़ें पेश कीं : सोने का प्याला जिसका वज़न 110 ग्राम था और जो बख़ूर से भरा हुआ था, 15 एक जवान बैल, एक मेंढा, भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए भेड़ का एक यकसाला बच्चा, 16 गुनाह की क़ुरबानी के लिए एक बकरा 17 और सलामती की क़ुरबानी के लिए दो बैल, पाँच मेंढे, पाँच बकरे और भेड़ के पाँच यकसाला बच्चे।

18-23 अगले ग्यारह दिन बाक़ी सरदार भी यही हदिये मक़दिस के पास ले आए। दूसरे दिन इशकार के सरदार नतनियेल बिन ज़ुग़र की बारी थी, 24-29 तीसरे दिन ज़बूलून के सरदार इलियाब बिन हेलोन की, 30-47 चौथे दिन रूबिन के सरदार इलीसूर बिन शदियूर की, पाँचवें दिन शमौन के सरदार सलूमियेल बिन सूरीशद्दी की, छटे दिन जद के सरदार इलियासफ़ बिन दऊएल की, 48-53 सातवें दिन इफ़राईम के सरदार इलीसमा बिन अम्मीहूद की, 54-71 आठवें दिन मनस्सी के सरदार जमलियेल बिन फ़दाहसूर की, नवें दिन बिनयमीन के सरदार अबिदान बिन जिदौनी की, दसवें दिन दान के सरदार अख़ियज़र बिन अम्मीशद्दी की, 72-83 ग्यारहवें दिन आशर के सरदार फ़जियेल बिन अकरान की और बारहवें दिन नफ़ताली के सरदार अख़ीरा बिन एनान की बारी थी।

84 इसराईल के इन सरदारों ने मिलकर क़ुरबानगाह की मख़सूसियत के लिए चाँदी के 12 थाल, छिड़काव के चाँदी के 12 कटोरे और सोने के 12 प्याले पेश किए। 85 हर थाल का वज़न डेढ़ किलोग्राम और छिड़काव के हर कटोरे का वज़न 800 ग्राम था। इन चीज़ों का कुल वज़न तक़रीबन 28 किलोग्राम था। 86 बख़ूर से भरे हुए सोने के प्यालों का कुल वज़न तक़रीबन डेढ़ किलोग्राम था (फ़ी प्याला 110 ग्राम)। 87 सरदारों ने मिलकर भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए 12 जवान बैल, 12 मेंढे और भेड़ के 12 यकसाला बच्चे उनकी ग़ल्ला की नज़रों समेत पेश किए। गुनाह की क़ुरबानी के लिए उन्होंने 12 बकरे पेश किए 88 और सलामती की क़ुरबानी के लिए 24 बैल, 60 मेंढे, 60 बकरे और भेड़ के 60 यकसाला बच्चे। इन तमाम जानवरों को क़ुरबानगाह की मख़सूसियत के मौक़े पर चढ़ाया गया।

89 जब मूसा मुलाक़ात के ख़ैमे में रब के साथ बात करने के लिए दाख़िल होता था तो वह रब की आवाज़ अहद के संदूक़ के ढकने पर से यानी दो करूबी फ़रिश्तों के दरमियान से सुनता था।

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