19 फिर वह औरत को क़सम खिलाकर कहे, ‘अगर कोई और आदमी आपसे हमबिसतर नहीं हुआ है और आप नापाक नहीं हुई हैं तो इस कड़वे पानी की लानत का आप पर कोई असर न हो। 20 लेकिन अगर आप भटककर अपने शौहर से बेवफ़ा हो गई हैं और किसी और से हमबिसतर होकर नापाक हो गई हैं 21 तो रब आपको आपकी क़ौम के सामने लानती बनाए। आप बाँझ हो जाएँ और आपका पेट फूल जाए। 22 जब लानत का यह पानी आपके पेट में उतरे तो आप बाँझ हो जाएँ और आपका पेट फूल जाए।’ इस पर औरत कहे, ‘आमीन, ऐसा ही हो।’
23 फिर इमाम यह लानत लिखकर काग़ज़ को बरतन के पानी में यों धो दे कि उस पर लिखी हुई बातें पानी में घुल जाएँ। 24 बाद में वह औरत को यह पानी पिलाए ताकि वह उसके जिस्म में जाकर उसे लानत पहुँचाए। 25 लेकिन पहले इमाम उसके हाथों में से ग़ैरत की क़ुरबानी लेकर उसे ग़ल्ला की नज़र के तौर पर रब के सामने हिलाए और फिर क़ुरबानगाह के पास ले आए। 26 उस पर वह मुट्ठी-भर यादगारी की क़ुरबानी के तौर पर जलाए। इसके बाद वह औरत को पानी पिलाए। 27 अगर वह अपने शौहर से बेवफ़ा थी और नापाक हो गई है तो वह बाँझ हो जाएगी, उसका पेट फूल जाएगा और वह अपनी क़ौम के सामने लानती ठहरेगी। 28 लेकिन अगर वह पाक-साफ़ है तो उसे सज़ा नहीं दी जाएगी और वह बच्चे जन्म देने के क़ाबिल रहेगी।
29-30 चुनाँचे ऐसा ही करना है जब शौहर ग़ैरत खाए और उसे अपनी बीवी पर ज़िना का शक हो। बीवी को क़ुरबानगाह के सामने खड़ा किया जाए और इमाम यह सब कुछ करे। 31 इस सूरत में शौहर बेक़ुसूर ठहरेगा, लेकिन अगर उस की बीवी ने वाक़ई ज़िना किया हो तो उसे अपने गुनाह के नतीजे बरदाश्त करने पड़ेंगे।”
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