6 मूसा और इसराईल की पूरी जमात मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर जमा होकर रोने लगे। इत्तफ़ाक़ से उसी वक़्त एक आदमी वहाँ से गुज़रा जो एक मिदियानी औरत को अपने घर ले जा रहा था। 7 यह देखकर हारून का पोता फ़ीनहास बिन इलियज़र जमात से निकला और नेज़ा पकड़कर 8 उस इसराईली के पीछे चल पड़ा। वह औरत समेत अपने ख़ैमे में दाख़िल हुआ तो फ़ीनहास ने उनके पीछे पीछे जाकर नेज़ा इतने ज़ोर से मारा कि वह दोनों में से गुज़र गया। उस वक़्त वबा फैलने लगी थी, लेकिन फ़ीनहास के इस अमल से वह रुक गई। 9 तो भी 24,000 अफ़राद मर चुके थे।
10 रब ने मूसा से कहा, 11 “हारून के पोते फ़ीनहास बिन इलियज़र ने इसराईलियों पर मेरा ग़ुस्सा ठंडा कर दिया है। मेरी ग़ैरत अपनाकर वह इसराईल में दीगर माबूदों की पूजा को बरदाश्त न कर सका। इसलिए मेरी ग़ैरत ने इसराईलियों को नेस्तो-नाबूद नहीं किया। 12 लिहाज़ा उसे बता देना कि मैं उसके साथ सलामती का अहद क़ायम करता हूँ। 13 इस अहद के तहत उसे और उस की औलाद को अबद तक इमाम का ओहदा हासिल रहेगा, क्योंकि अपने ख़ुदा की ख़ातिर ग़ैरत खाकर उसने इसराईलियों का कफ़्फ़ारा दिया।”
14 जिस आदमी को मिदियानी औरत के साथ मार दिया गया उसका नाम ज़िमरी बिन सलू था, और वह शमौन के क़बीले के एक आबाई घराने का सरपरस्त था। 15 मिदियानी औरत का नाम कज़बी था, और वह सूर की बेटी थी जो मिदियानियों के एक आबाई घराने का सरपरस्त था।
16 रब ने मूसा से कहा, 17 “मिदियानियों को दुश्मन क़रार देकर उन्हें मार डालना। 18 क्योंकि उन्होंने अपनी चालाकियों से तुम्हारे साथ दुश्मन का-सा सुलूक किया, उन्होंने तुम्हें बाल-फ़ग़ूर की पूजा करने पर उकसाया और तुम्हें अपनी बहन मिदियानी सरदार की बेटी कज़बी के ज़रीए जिसे वबा फैलते वक़्त मार दिया गया बहकाया।”
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