2 यरीहू के आदमियों ने फ़सील के अगले हिस्से को खड़ा किया जबकि ज़क्कूर बिन इमरी ने उनके हिस्से से मुलहिक़ हिस्से को तामीर किया।
3 मछली का दरवाज़ा सनाआह के ख़ानदान की ज़िम्मादारी थी। उसे शहतीरों से बनाकर उन्होंने किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए।
4 अगले हिस्से की मरम्मत मरीमोत बिन ऊरियाह बिन हक़्क़ूज़ ने की।
5 अगला हिस्सा तक़ुअ के बाशिंदों ने बनाया। लेकिन शहर के बड़े लोग अपने बुज़ुर्गों के तहत काम करने के लिए तैयार न थे।
6 यसाना का दरवाज़ा योयदा बिन फ़ासिह और मसुल्लाम बिन बसूदियाह की ज़िम्मादारी थी। उसे शहतीरों से बनाकर उन्होंने किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए।
7 अगला हिस्सा मलतियाह जिबऊनी और यदून मरूनोती ने खड़ा किया। यह लोग जिबऊन और मिसफ़ाह के थे, वही मिसफ़ाह जहाँ दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर का दारुल-हुकूमत था।
8 अगले हिस्से की मरम्मत एक सुनार बनाम उज़्ज़ियेल बिन हरहियाह के हाथ में थी।
9 अगले हिस्से को रिफ़ायाह बिन हूर ने खड़ा किया। यह आदमी ज़िले यरूशलम के आधे हिस्से का अफ़सर था।
10 यदायाह बिन हरूमफ़ ने अगले हिस्से की मरम्मत की जो उसके घर के मुक़ाबिल था।
11 अगले हिस्से को तनूरों के बुर्ज तक मलकियाह बिन हारिम और हस्सूब बिन पख़त-मोआब ने खड़ा किया।
12 अगला हिस्सा सल्लूम बिन हल्लूहेश की ज़िम्मादारी थी। यह आदमी ज़िले यरूशलम के दूसरे आधे हिस्से का अफ़सर था। उस की बेटियों ने उस की मदद की।
13 हनून ने ज़नूह के बाशिंदों समेत वादी के दरवाज़े को तामीर किया। शहतीरों से उसे बनाकर उन्होंने किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगाए। इसके अलावा उन्होंने फ़सील को वहाँ से कचरे के दरवाज़े तक खड़ा किया। इस हिस्से का फ़ासला तक़रीबन 1,500 फ़ुट यानी आधा किलोमीटर था।
14 कचरे का दरवाज़ा मलकियाह बिन रैकाब की ज़िम्मादारी थी। यह आदमी ज़िले बैत-करम का अफ़सर था। उसने उसे बनाकर किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगाए।
15 चश्मे के दरवाज़े की तामीर सल्लून बिन कुलहोज़ा के हाथ में थी जो ज़िले मिसफ़ाह का अफ़सर था। उसने दरवाज़े पर छत बनाकर उसके किवाड़, चटख़नियाँ और कुंडे लगा दिए। साथ साथ उसने फ़सील के उस हिस्से की मरम्मत की जो शाही बाग़ के पासवाले तालाब से गुज़रता है। यह वही तालाब है जिसमें पानी नाले के ज़रीए पहुँचता है। सल्लून ने फ़सील को उस सीढ़ी तक तामीर किया जो यरूशलम के उस हिस्से से उतरती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है।
16 अगला हिस्सा नहमियाह बिन अज़बुक़ की ज़िम्मादारी थी जो ज़िले बैत-सूर के आधे हिस्से का अफ़सर था। फ़सील का यह हिस्सा दाऊद बादशाह के क़ब्रिस्तान के मुक़ाबिल था और मसनूई तालाब और सूरमाओं के कमरों पर ख़त्म हुआ।
17 ज़ैल के लावियों ने अगले हिस्सों को खड़ा किया : पहले रहूम बिन बानी का हिस्सा था।
18 अगले हिस्से को लावियों ने बिन्नूई बिन हनदाद के ज़ेरे-निगरानी खड़ा किया जो ज़िले क़ईला के दूसरे आधे हिस्से पर मुक़र्रर था।
19 अगला हिस्सा मिसफ़ाह के सरदार अज़र बिन यशुअ की ज़िम्मादारी थी। यह हिस्सा फ़सील के उस मोड़ पर था जहाँ रास्ता असलाख़ाने की तरफ़ चढ़ता है।
20 अगले हिस्से को बारूक बिन ज़ब्बी ने बड़ी मेहनत से तामीर किया। यह हिस्सा फ़सील के मोड़ से शुरू होकर इमामे-आज़म इलियासिब के घर के दरवाज़े पर ख़त्म हुआ।
21 अगला हिस्सा मरीमोत बिन ऊरियाह बिन हक़्क़ूज़ की ज़िम्मादारी थी और इलियासिब के घर के दरवाज़े से शुरू होकर उसके कोने पर ख़त्म हुआ।
22 ज़ैल के हिस्से उन इमामों ने तामीर किए जो शहर के गिर्दो-नवाह में रहते थे।
23 अगले हिस्से की तामीर बिनयमीन और हस्सूब के ज़ेरे-निगरानी थी। यह हिस्सा उनके घरों के सामने था।
24 अगला हिस्सा बिन्नूई बिन हनदाद की ज़िम्मादारी थी। यह अज़रियाह के घर से शुरू हुआ और मुड़ते मुड़ते कोने पर ख़त्म हुआ।
25 अगला हिस्सा फ़ालाल बिन ऊज़ी की ज़िम्मादारी थी। यह हिस्सा मोड़ से शुरू हुआ, और ऊपर का जो बुर्ज शाही महल से उस जगह निकलता है जहाँ मुहाफ़िज़ों का सहन है वह भी इसमें शामिल था।
27 अगला हिस्सा इस बुर्ज से लेकर ओफ़ल पहाड़ी की दीवार तक था। तक़ुअ के बाशिंदों ने उसे तामीर किया।
28 घोड़े के दरवाज़े से आगे इमामों ने फ़सील की मरम्मत की। हर एक ने अपने घर के सामने का हिस्सा खड़ा किया।
29 उनके बाद सदोक़ बिन इम्मेर का हिस्सा आया। यह भी उसके घर के मुक़ाबिल था।
30 अगला हिस्सा हननियाह बिन सलमियाह और सलफ़ के छटे बेटे हनून के ज़िम्मे था।
31 एक सुनार बनाम मलकियाह ने अगले हिस्से की मरम्मत की। यह हिस्सा रब के घर के ख़िदमतगारों और ताजिरों के उस मकान पर ख़त्म हुआ जो पहरे के दरवाज़े के सामने था। फ़सील के कोने पर वाक़े बालाखाना भी इसमें शामिल था।
32 आख़िरी हिस्सा भेड़ के दरवाज़े पर ख़त्म हुआ। सुनारों और ताजिरों ने उसे खड़ा किया।
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