8 लावी :
10 इमामे-आज़म यशुअ की औलाद :
12 जब यूयक़ीम इमामे-आज़म था तो ज़ैल के इमाम अपने ख़ानदानों के सरपरस्त थे।
13 अज़रा के ख़ानदान का मसुल्लाम,
14 मल्लूक के ख़ानदान का यूनतन,
15 हारिम के ख़ानदान का अदना,
16 इद्दू के ख़ानदान का ज़करियाह,
17 अबियाह के ख़ानदान का ज़िकरी,
18 बिलजा के ख़ानदान का सम्मुअ,
19 यूयारीब के ख़ानदान का मत्तनी,
20 सल्ली के ख़ानदान का क़ल्ली,
21 ख़िलक़ियाह के ख़ानदान का हसबियाह,
23 लावी के ख़ानदानी सरपरस्तों के नाम इमामे-आज़म यूहनान बिन इलियासिब के ज़माने तक तारीख़ की किताब में दर्ज किए गए।
24-25 लावी के ख़ानदानी सरपरस्त हसबियाह, सरिबियाह, यशुअ, बिन्नूई और क़दमियेल ख़िदमत के उन गुरोहों की राहनुमाई करते थे जो रब के घर में हम्दो-सना के गीत गाते थे। उनके मुक़ाबिल मत्तनियाह, बक़बूक़ियाह और अबदियाह अपने गुरोहों के साथ खड़े होते थे। गीत गाते वक़्त कभी यह गुरोह और कभी उसके मुक़ाबिल का गुरोह गाता था। सब कुछ उस तरतीब से हुआ जो मर्दे-ख़ुदा दाऊद ने मुक़र्रर की थी।
26 यह आदमी इमामे-आज़म यूयक़ीम बिन यशुअ बिन यूसदक़, नहमियाह गवर्नर और शरीअत के आलिम अज़रा इमाम के ज़माने में अपनी ख़िदमत सरंजाम देते थे।
31 इसके बाद मैंने यहूदाह के क़बीले के बुज़ुर्गों को फ़सील पर चढ़ने दिया और गुलूकारों को शुक्रगुज़ारी के दो बड़े गुरोहों में तक़सीम किया। पहला गुरोह फ़सील पर चलते चलते जुनूब में वाक़े कचरे के दरवाज़े की तरफ़ बढ़ गया। 32 इन गुलूकारों के पीछे हूसायाह यहूदाह के आधे बुज़ुर्गों के साथ चला 33 जबकि इनके पीछे अज़रियाह, अज़रा, मसुल्लाम, 34 यहूदाह, बिनयमीन, समायाह और यरमियाह चले। 35 आख़िरी गुरोह इमाम थे जो तुरम बजाते रहे। इनके पीछे ज़ैल के मौसीक़ार आए : ज़करियाह बिन यूनतन बिन समायाह बिन मत्तनियाह बिन मीकायाह बिन ज़क्कूर बिन आसफ़ 36 और उसके भाई समायाह, अज़रेल, मिलली, जिलली, माई, नतनियेल, यहूदाह और हनानी। यह आदमी मर्दे-ख़ुदा दाऊद के साज़ बजाते रहे। शरीअत के आलिम अज़रा ने जुलूस की राहनुमाई की। 37 चश्मे के दरवाज़े के पास आकर वह सीधे उस सीढ़ी पर चढ़ गए जो यरूशलम के उस हिस्से तक पहुँचाती है जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर दाऊद के महल के पीछे से गुज़रकर वह शहर के मग़रिब में वाक़े पानी के दरवाज़े तक पहुँच गए।
38 शुक्रगुज़ारी का दूसरा गुरोह फ़सील पर चलते चलते शिमाल में वाक़े तनूरों के बुर्ज और ‘मोटी दीवार’ की तरफ़ बढ़ गया, और मैं बाक़ी लोगों के साथ उसके पीछे हो लिया। 39 हम इफ़राईम के दरवाज़े, यसाना के दरवाज़े, मछली के दरवाज़े, हननेल के बुर्ज, मिया बुर्ज और भेड़ के दरवाज़े से होकर मुहाफ़िज़ों के दरवाज़े तक पहुँच गए जहाँ हम रुक गए।
40 फिर शुक्रगुज़ारी के दोनों गुरोह रब के घर के पास खड़े हो गए। मैं भी बुज़ुर्गों के आधे हिस्से 41 और ज़ैल के तुरम बजानेवाले इमामों के साथ रब के घर के सहन में खड़ा हुआ : इलियाक़ीम, मासियाह, मिन्यमीन, मीकायाह, इलियूऐनी, ज़करियाह और हननियाह। 42 मासियाह, समायाह, इलियज़र, उज़्ज़ी, यूहनान, मलकियाह, ऐलाम और अज़र भी हमारे साथ थे। गुलूकार इज़्रख़ियाह की राहनुमाई में हम्दो-सना के गीत गाते रहे।
43 उस दिन ज़बह की बड़ी बड़ी क़ुरबानियाँ पेश की गईं, क्योंकि अल्लाह ने हम सबको बाल-बच्चों समेत बड़ी ख़ुशी दिलाई थी। ख़ुशियों का इतना शोर मच गया कि उस की आवाज़ दूर-दराज़ इलाक़ों तक पहुँच गई।
47 चुनाँचे ज़रुब्बाबल और नहमियाह के दिनों में तमाम इसराईल रब के घर के गुलूकारों और दरबानों की रोज़ाना ज़रूरियात पूरी करता था। लावियों को वह हिस्सा दिया जाता जो उनके लिए मख़सूस था, और लावी उसमें से इमामों को वह हिस्सा दिया करते थे जो उनके लिए मख़सूस था।
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