2 लेकिन तू, ऐ बैत-लहम इफ़राता, जो यहूदाह के दीगर ख़ानदानों की निसबत छोटा है, तुझमें से वह निकलेगा जो इसराईल का हुक्मरान होगा और जो क़दीम ज़माने बल्कि अज़ल से सादिर हुआ है। 3 लेकिन जब तक हामिला औरत उसे जन्म न दे, उस वक़्त तक रब अपनी क़ौम को दुश्मन के हवाले छोड़ेगा। लेकिन फिर उसके भाइयों का बचा हुआ हिस्सा इसराईलियों के पास वापस आएगा।
4 यह हुक्मरान खड़े होकर रब की क़ुव्वत के साथ अपने रेवड़ की गल्लाबानी करेगा। उसे रब अपने ख़ुदा के नाम का अज़ीम इख़्तियार हासिल होगा। तब क़ौम सलामती से बसेगी, क्योंकि उस की अज़मत दुनिया की इंतहा तक फैलेगी। 5 वही सलामती का मंबा होगा। जब असूर की फ़ौज हमारे मुल्क में दाख़िल होकर हमारे महलों में घुस आए तो हम उसके ख़िलाफ़ सात चरवाहे और आठ रईस खड़े करेंगे 6 जो तलवार से मुल्के-असूर की गल्लाबानी करेंगे, हाँ तलवार को मियान से खींचकर नमरूद के मुल्क पर हुकूमत करेंगे। यों हुक्मरान हमें असूर से बचाएगा जब यह हमारे मुल्क और हमारी सरहद में घुस आएगा।
7 तब याक़ूब के जितने लोग बचकर मुतअद्दिद अक़वाम के बीच में रहेंगे वह रब की भेजी हुई ओस या हरियाली पर पड़नेवाली बारिश की मानिंद होंगे यानी ऐसी चीज़ों की मानिंद जो न किसी इनसान के इंतज़ार में रहती, न किसी इनसान के हुक्म पर पड़ती हैं। 8 याक़ूब के जितने लोग बचकर मुतअद्दिद अक़वाम के बीच में रहेंगे वह जंगली जानवरों के दरमियान शेरबबर और भेड़-बकरियों के बीच में जवान शेर की मानिंद होंगे यानी ऐसे जानवर की मानिंद जो जहाँ से भी गुज़रे जानवरों को रौंदकर फाड़ लेता है। उसके हाथ से कोई बचा नहीं सकता। 9 तेरा हाथ तेरे तमाम मुख़ालिफ़ों पर फ़तह पाएगा, तेरे तमाम दुश्मन नेस्तो-नाबूद हो जाएंगे।