6 आधी रात को शोर मच गया, ‘देखो, दूल्हा पहुँच रहा है, उसे मिलने के लिए निकलो!’ 7 इस पर तमाम कुँवारियाँ जाग उठीं और अपने चराग़ों को दुरुस्त करने लगीं। 8 नासमझ कुँवारियों ने समझदार कुँवारियों से कहा, ‘अपने तेल में से हमें भी कुछ दे दो। हमारे चराग़ बुझनेवाले हैं।’ 9 दूसरी कुँवारियों ने जवाब दिया, ‘नहीं, ऐसा न हो कि न सिर्फ़ तुम्हारे लिए बल्कि हमारे लिए भी तेल काफ़ी न हो। दुकान पर जाकर अपने लिए ख़रीद लो।’ 10 चुनाँचे नासमझ कुँवारियाँ चली गईं। लेकिन इस दौरान दूल्हा पहुँच गया। जो कुँवारियाँ तैयार थीं वह उसके साथ शादी हाल में दाख़िल हुईं। फिर दरवाज़े को बंद कर दिया गया।
11 कुछ देर के बाद बाक़ी कुँवारियाँ आईं और चिल्लाने लगीं, ‘जनाब! हमारे लिए दरवाज़ा खोल दें।’ 12 लेकिन उसने जवाब दिया, ‘यक़ीन जानो, मैं तुमको नहीं जानता।’
13 इसलिए चौकस रहो, क्योंकि तुम इब्ने-आदम के आने का दिन या वक़्त नहीं जानते।
19 बड़ी देर के बाद उनका मालिक लौट आया। जब उसने उनके साथ हिसाब-किताब किया 20 तो पहला नौकर जिसे 5,000 सिक्के मिले थे मज़ीद 5,000 सिक्के लेकर आया। उसने कहा, ‘जनाब, आपने 5,000 सिक्के मेरे सुपुर्द किए थे। यह देखें, मैंने मज़ीद 5,000 सिक्के हासिल किए हैं।’ 21 उसके मालिक ने जवाब दिया, ‘शाबाश, मेरे अच्छे और वफ़ादार नौकर। तुम थोड़े में वफ़ादार रहे, इसलिए मैं तुम्हें बहुत कुछ पर मुक़र्रर करूँगा। अंदर आओ और अपने मालिक की ख़ुशी में शरीक हो जाओ।’
22 फिर दूसरा नौकर आया जिसे 2,000 सिक्के मिले थे। उसने कहा, ‘जनाब, आपने 2,000 सिक्के मेरे सुपुर्द किए थे। यह देखें, मैंने मज़ीद 2,000 सिक्के हासिल किए हैं।’ 23 उसके मालिक ने जवाब दिया, ‘शाबाश, मेरे अच्छे और वफ़ादार नौकर। तुम थोड़े में वफ़ादार रहे, इसलिए मैं तुम्हें बहुत कुछ पर मुक़र्रर करूँगा। अंदर आओ और अपने मालिक की ख़ुशी में शरीक हो जाओ।’
24 फिर तीसरा नौकर आया जिसे 1,000 सिक्के मिले थे। उसने कहा, ‘जनाब, मैं जानता था कि आप सख़्त आदमी हैं। जो बीज आपने नहीं बोया उस की फ़सल आप काटते हैं और जो कुछ आपने नहीं लगाया उस की पैदावार जमा करते हैं। 25 इसलिए मैं डर गया और जाकर आपके पैसे ज़मीन में छुपा दिए। अब आप अपने पैसे वापस ले सकते हैं।’
26 उसके मालिक ने जवाब दिया, ‘शरीर और सुस्त नौकर! क्या तू जानता था कि जो बीज मैंने नहीं बोया उस की फ़सल काटता हूँ और जो कुछ मैंने नहीं लगाया उस की पैदावार जमा करता हूँ? 27 तो फिर तूने मेरे पैसे बैंक में क्यों न जमा करा दिए? अगर ऐसा करता तो वापसी पर मुझे कम अज़ कम वह पैसे सूद समेत मिल जाते।’ 28 यह कहकर मालिक दूसरों से मुख़ातिब हुआ, ‘यह पैसे इससे लेकर उस नौकर को दे दो जिसके पास 10,000 सिक्के हैं। 29 क्योंकि जिसके पास कुछ है उसे और दिया जाएगा और उसके पास कसरत की चीज़ें होंगी। लेकिन जिसके पास कुछ नहीं है उससे वह भी छीन लिया जाएगा जो उसके पास है। 30 अब इस बेकार नौकर को निकालकर बाहर की तारीकी में फेंक दो, वहाँ जहाँ लोग रोते और दाँत पीसते रहेंगे।’
37 फिर यह रास्तबाज़ लोग जवाब में कहेंगे, ‘ख़ुदावंद, हमने आपको कब भूका देखकर खाना खिलाया, आपको कब प्यासा देखकर पानी पिलाया? 38 हमने आपको कब अजनबी की हैसियत से देखकर आपकी मेहमान-नवाज़ी की, आपको कब नंगा देखकर कपड़े पहनाए? 39 हम आपको कब बीमार हालत में या जेल में पड़ा देखकर आपसे मिलने गए?’ 40 बादशाह जवाब देगा, ‘मैं तुम्हें सच बताता हूँ कि जो कुछ तुमने मेरे इन सबसे छोटे भाइयों में से एक के लिए किया वह तुमने मेरे ही लिए किया।’
41 फिर वह बाएँ हाथवालों से कहेगा, ‘लानती लोगो, मुझसे दूर हो जाओ और उस अबदी आग में चले जाओ जो इबलीस और उसके फ़रिश्तों के लिए तैयार है। 42 क्योंकि मैं भूका था और तुमने मुझे कुछ न खिलाया, मैं प्यासा था और तुमने मुझे पानी न पिलाया, 43 मैं अजनबी था और तुमने मेरी मेहमान-नवाज़ी न की, मैं नंगा था और तुमने मुझे कपड़े न पहनाए, मैं बीमार और जेल में था और तुम मुझसे मिलने न आए।’
44 फिर वह जवाब में पूछेंगे, ‘ख़ुदावंद, हमने आपको कब भूका, प्यासा, अजनबी, नंगा, बीमार या जेल में पड़ा देखा और आपकी ख़िदमत न की?’ 45 वह जवाब देगा, ‘मैं तुमको सच बताता हूँ कि जब कभी तुमने इन सबसे छोटों में से एक की मदद करने से इनकार किया तो तुमने मेरी ख़िदमत करने से इनकार किया।’ 46 फिर यह अबदी सज़ा भुगतने के लिए जाएंगे जबकि रास्तबाज़ अबदी ज़िंदगी में दाख़िल होंगे।”
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