10 आठवें दिन वह दो भेड़ के नर बच्चे और एक यकसाला भेड़ चुन ले जो बेऐब हों। साथ ही वह ग़ल्ला की नज़र के लिए तेल के साथ मिलाया गया साढ़े 4 किलोग्राम बेहतरीन मैदा और 300 मिलीलिटर तेल ले। 11 फिर जिस इमाम ने उसे पाक क़रार दिया वह उसे इन क़ुरबानियों समेत मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर रब को पेश करे। 12 भेड़ का एक नर बच्चा और 300 मिलीलिटर तेल क़ुसूर की क़ुरबानी के लिए है। इमाम उन्हें हिलानेवाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने हिलाए। 13 फिर वह भेड़ के इस बच्चे को ख़ैमे के दरवाज़े पर ज़बह करे जहाँ गुनाह की क़ुरबानियाँ और भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ ज़बह की जाती हैं। गुनाह की क़ुरबानियों की तरह क़ुसूर की यह क़ुरबानी इमाम का हिस्सा है और निहायत मुक़द्दस है। 14 इमाम ख़ून में से कुछ लेकर पाक होनेवाले के दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और दहने पाँव के अंगूठों पर लगाए। 15 अब वह 300 मिलीलिटर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डाले। 16 अपने दहने हाथ के अंगूठे के साथवाली उँगली इस तेल में डुबोकर वह उसे सात बार रब के सामने छिड़के। 17 वह अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ और लेकर पाक होनेवाले के दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और दहने पाँव के अंगूठों पर लगा दे यानी उन जगहों पर जहाँ वह क़ुसूर की क़ुरबानी का ख़ून लगा चुका है। 18 इमाम अपनी हथेली पर का बाक़ी तेल पाक होनेवाले के सर पर डालकर रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे।
19 इसके बाद इमाम गुनाह की क़ुरबानी चढ़ाकर पाक होनेवाले का कफ़्फ़ारा दे। आख़िर में वह भस्म होनेवाली क़ुरबानी का जानवर ज़बह करे। 20 वह उसे ग़ल्ला की नज़र के साथ क़ुरबानगाह पर चढ़ाकर उसका कफ़्फ़ारा दे। तब वह पाक है।
21 अगर शफ़ायाब शख़्स ग़ुरबत के बाइस यह क़ुरबानियाँ नहीं चढ़ा सकता तो फिर वह क़ुसूर की क़ुरबानी के लिए भेड़ का सिर्फ़ एक नर बच्चा ले आए। काफ़ी है कि कफ़्फ़ारा देने के लिए यही रब के सामने हिलाया जाए। साथ साथ ग़ल्ला की नज़र के लिए डेढ़ किलोग्राम बेहतरीन मैदा तेल के साथ मिलाकर पेश किया जाए और 300 मिलीलिटर तेल। 22 इसके अलावा वह दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर पेश करे, एक को गुनाह की क़ुरबानी के लिए और दूसरे को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए। 23 आठवें दिन वह उन्हें मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े पर इमाम के पास और रब के सामने ले आए ताकि वह पाक-साफ़ हो जाए। 24 इमाम भेड़ के बच्चे को 300 मिलीलिटर तेल समेत लेकर हिलानेवाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने हिलाए। 25 वह क़ुसूर की क़ुरबानी के लिए भेड़ के बच्चे को ज़बह करे और उसके ख़ून में से कुछ लेकर पाक होनेवाले के दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और दहने पाँव के अंगूठों पर लगाए। 26 अब वह 300 मिलीलिटर तेल में से कुछ अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डाले 27 और अपने दहने हाथ के अंगूठे के साथवाली उँगली इस तेल में डुबोकर उसे सात बार रब के सामने छिड़क दे। 28 वह अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ और लेकर पाक होनेवाले के दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और दहने पाँव के अंगूठों पर लगा दे यानी उन जगहों पर जहाँ वह क़ुसूर की क़ुरबानी का ख़ून लगा चुका है। 29 अपनी हथेली पर का बाक़ी तेल वह पाक होनेवाले के सर पर डाल दे ताकि रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे। 30 इसके बाद वह शफ़ायाब शख़्स की गुंजाइश के मुताबिक़ दो क़ुम्रियाँ या दो जवान कबूतर चढ़ाए, 31 एक को गुनाह की क़ुरबानी के लिए और दूसरे को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के लिए। साथ ही वह ग़ल्ला की नज़र पेश करे। यों इमाम रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा देता है। 32 यह उसूल ऐसे शख़्स के लिए है जो वबाई जिल्दी बीमारी से शफ़ा पा गया है लेकिन अपनी ग़ुरबत के बाइस पाक हो जाने के लिए पूरी क़ुरबानी पेश नहीं कर सकता।”
46 अगर इमाम ने किसी घर का मुआयना करके ताला लगा दिया है और फिर भी कोई उस घर में दाख़िल हो जाए तो वह शाम तक नापाक रहेगा। 47 जो ऐसे घर में सोए या खाना खाए लाज़िम है कि वह अपने कपड़े धो ले। 48 लेकिन अगर घर को नए सिरे से पलस्तर करने के बाद इमाम आकर उसका दुबारा मुआयना करे और देखे कि फफूँदी दुबारा नहीं निकली तो इसका मतलब है कि फफूँदी ख़त्म हो गई है। वह उसे पाक क़रार दे। 49 उसे गुनाह से पाक-साफ़ कराने के लिए वह दो परिंदे, देवदार की लकड़ी, क़िरमिज़ी रंग का धागा और ज़ूफ़ा ले ले। 50 वह परिंदों में से एक को ताज़ा पानी से भरे हुए मिट्टी के बरतन के ऊपर ज़बह करे। 51 इसके बाद वह देवदार की लकड़ी, ज़ूफ़ा, क़िरमिज़ी रंग का धागा और ज़िंदा परिंदा लेकर उस ताज़ा पानी में डुबो दे जिसके साथ ज़बह किए हुए परिंदे का ख़ून मिलाया गया है और इस पानी को सात बार घर पर छिड़क दे। 52 इन चीज़ों से वह घर को गुनाह से पाक-साफ़ करता है। 53 आख़िर में वह ज़िंदा परिंदे को आबादी के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे। यों वह घर का कफ़्फ़ारा देगा, और वह पाक-साफ़ हो जाएगा।
54-56 लाज़िम है कि हर क़िस्म की वबाई बीमारी से ऐसे निपटो जैसे बयान किया गया है, चाहे वह वबाई जिल्दी बीमारियाँ हों (मसलन ख़ारिश, सूजन, पपड़ी या सफ़ेद दाग़), चाहे कपड़ों या घरों में फफूँदी हो। 57 इन उसूलों के तहत फ़ैसला करना है कि कोई शख़्स या चीज़ पाक है या नापाक।”
<- अहबार 13अहबार 15 ->