2 पहले तो सिय्यून के गिराँक़दर फ़रज़ंद ख़ालिस सोने जैसे क़ीमती थे, लेकिन अब वह गोया मिट्टी के बरतन समझे जाते हैं जो आम कुम्हार ने बनाए हैं।
3 गो गीदड़ भी अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं, लेकिन मेरी क़ौम रेगिस्तान में रहनेवाले उक़ाबी उल्लू जैसी ज़ालिम हो गई है।
4 शीरख़ार बच्चे की ज़बान प्यास के मारे तालू से चिपक गई है। छोटे बच्चे भूक के मारे रोटी माँगते हैं, लेकिन खिलानेवाला कोई नहीं है।
5 जो पहले लज़ीज़ खाना खाते थे वह अब गलियों में तबाह हो रहे हैं। जो पहले अरग़वानी रंग के शानदार कपड़े पहनते थे वह अब कूड़े-करकट में लोट-पोट हो रहे हैं।
7 सिय्यून के रईस कितने शानदार थे! जिल्द बर्फ़ जैसी निखरी, दूध जैसी सफ़ेद थी। रुख़सार मूँगे की तरह गुलाबी, शक्लो-सूरत संगे-लाजवर्द *lapis lazuli जैसी चमकदार थी।
8 लेकिन अब वह कोयले जैसे काले नज़र आते हैं। जब गलियों में घूमते हैं तो उन्हें पहचाना नहीं जाता। उनकी हड्डियों पर की जिल्द सुकड़कर लकड़ी की तरह सूखी हुई है।
9 जो तलवार से हलाक हुए उनका हाल उनसे बेहतर था जो भूके मर गए। क्योंकि खेतों से ख़ुराक न मिलने पर वह घुल घुलकर मर गए।
10 जब मेरी क़ौम तबाह हुई तो इतना सख़्त काल पड़ गया कि नरमदिल माओं ने भी अपने बच्चों को पकाकर खा लिया।
12 अब दुश्मन यरूशलम के दरवाज़ों में दाख़िल हुए हैं, हालाँकि दुनिया के तमाम बादशाह बल्कि सब लोग समझते थे कि यह मुमकिन ही नहीं।
13 लेकिन यह सब कुछ उसके नबियों और इमामों के सबब से हुआ जिन्होंने शहर ही में रास्तबाज़ों की ख़ूनरेज़ी की।
14 अब यही लोग अंधों की तरह गलियों में टटोल टटोलकर फिरते हैं। वह ख़ून से इतने आलूदा हैं कि सब लोग उनके कपड़ों से लगने से गुरेज़ करते हैं।
15 उन्हें देखकर लोग गरजते हैं, “हटो, तुम नापाक हो! भाग जाओ, दफ़ा हो जाओ, हमें हाथ मत लगाना!” फिर जब वह दीगर अक़वाम में जाकर इधर-उधर फिरने लगते हैं तो वहाँ के लोग भी कहते हैं कि यह मज़ीद यहाँ न ठहरें।
16 रब ने ख़ुद उन्हें मुंतशिर कर दिया, अब से वह उनका ख़याल नहीं करेगा। अब न इमामों की इज़्ज़त होती है, न बुज़ुर्गों पर मेहरबानी की जाती है।
18 हम अपने चौकों में जा न सके, क्योंकि वहाँ दुश्मन हमारी ताक में बैठा था। हमारा ख़ातमा क़रीब आया, हमारा मुक़र्ररा वक़्त इख़्तितामपज़ीर हुआ, हमारा अंजाम आ पहुँचा।
19 जिस तरह आसमान पर मँडलानेवाला उक़ाब एकदम शिकार पर झपट पड़ता है उसी तरह हमारा ताक़्क़ुब करनेवाले हम पर टूट पड़े, और वह भी कहीं ज़्यादा तेज़ी से। वह पहाड़ों पर हमारे पीछे पीछे भागे और रेगिस्तान में हमारी घात में रहे।
20 हमारा बादशाह भी उनके गढ़ों में फँस गया। जो हमारी जान था और जिसे रब ने मसह करके चुन लिया था उसे भी पकड़ लिया गया, गो हमने सोचा था कि उसके साये में बसकर अक़वाम के दरमियान महफ़ूज़ रहेंगे।
22 ऐ सिय्यून बेटी, तेरी सज़ा का वक़्त पूरा हो गया है। अब से रब तुझे क़ैदी बनाकर जिलावतन नहीं करेगा। लेकिन ऐ अदोम बेटी, वह तुझे तेरे क़ुसूर का पूरा अज्र देगा, वह तेरे गुनाहों पर से परदा उठा लेगा।
<- नोहा 3नोहा 5 ->- a lapis lazuli