नोहा
2 रात को वह रो रोकर गुज़ारती है, उसके गाल आँसुओं से तर रहते हैं। आशिक़ों में से कोई नहीं रहा जो उसे तसल्ली दे। दोस्त सबके सब बेवफ़ा होकर उसके दुश्मन बन गए हैं।
3 पहले भी यहूदाह बेटी बड़ी मुसीबत में फँसी हुई थी, पहले भी उसे सख़्त मज़दूरी करनी पड़ी। लेकिन अब वह जिलावतन होकर दीगर अक़वाम के बीच में रहती है, अब उसे कहीं भी ऐसी जगह नहीं मिलती जहाँ सुकून से रह सके। क्योंकि जब वह बड़ी तकलीफ़ में मुब्तला थी तो दुश्मन ने उसका ताक़्क़ुब करके उसे घेर लिया।
4 सिय्यून की राहें मातमज़दा हैं, क्योंकि कोई ईद मनाने के लिए नहीं आता। शहर के तमाम दरवाज़े वीरानो-सुनसान हैं। उसके इमाम आहें भर रहे, उस की कुँवारियाँ ग़म खा रही हैं और उसे ख़ुद शदीद तलख़ी महसूस हो रही है।
5 उसके मुख़ालिफ़ मालिक बन गए, उसके दुश्मन सुकून से रह रहे हैं। क्योंकि रब ने शहर को उसके मुतअद्दिद गुनाहों का अज्र देकर उसे दुख पहुँचाया है। उसके फ़रज़ंद दुश्मन के आगे आगे चलकर जिलावतन हो गए हैं।
6 सिय्यून बेटी की तमाम शानो-शौकत जाती रही है। उसके बुज़ुर्ग चरागाह न पानेवाले हिरन हैं जो थकते थकते शिकारियों के आगे आगे भागते हैं।
7 अब जब यरूशलम मुसीबतज़दा और बेवतन है तो उसे वह क़ीमती चीज़ें याद आती हैं जो उसे क़दीम ज़माने से ही हासिल थीं। क्योंकि जब उस की क़ौम दुश्मन के हाथ में आई तो कोई नहीं था जो उस की मदद करता बल्कि उसके मुख़ालिफ़ तमाशा देखने दौड़े आए, वह उस की तबाही से ख़ुश होकर हँस पड़े।
8 यरूशलम बेटी से संगीन गुनाह सरज़द हुआ है, इसी लिए वह लान-तान का निशाना बन गई है। जो पहले उस की इज़्ज़त करते थे वह सब उसे हक़ीर जानते हैं, क्योंकि उन्होंने उस की बरहनगी देखी है। अब वह आहें भर भरकर अपना मुँह दूसरी तरफ़ फेर लेती है।
9 गो उसके दामन में बहुत गंदगी थी, तो भी उसने अपने अंजाम का ख़याल तक न किया। अब वह धड़ाम से गिर गई है, और कोई नहीं है जो उसे तसल्ली दे। “ऐ रब, मेरी मुसीबत का लिहाज़ कर! क्योंकि दुश्मन शेख़ी मार रहा है।”
10 जो कुछ भी यरूशलम को प्यारा था उस पर दुश्मन ने हाथ डाला है। हत्ता कि उसे देखना पड़ा कि ग़ैरअक़वाम उसके मक़दिस में दाख़िल हो रहे हैं, गो तूने ऐसे लोगों को अपनी जमात में शरीक होने से मना किया था।
11 तमाम बाशिंदे आहें भर भरकर रोटी की तलाश में रहते हैं। हर एक खाने का कोई न कोई टुकड़ा पाने के लिए अपनी बेशक़ीमत चीज़ें बेच रहा है। ज़हन में एक ही ख़याल है कि अपनी जान को किसी न किसी तरह बचाए। “ऐ रब, मुझ पर नज़र डालकर ध्यान दे कि मेरी कितनी तज़लील हुई है।
13 बुलंदियों से उसने मेरी हड्डियों पर आग नाज़िल करके उन्हें कुचल दिया। उसने मेरे पाँवों के सामने जाल बिछाकर मुझे पीछे हटा दिया। उसी ने मुझे वीरानो-सुनसान करके हमेशा के लिए बीमार कर दिया।
14 मेरे जरायम का जुआ भारी है। रब के हाथ ने उन्हें एक दूसरे के साथ जोड़कर मेरी गरदन पर रख दिया। अब मेरी ताक़त ख़त्म है, रब ने मुझे उन्हीं के हवाले कर दिया जिनका मुक़ाबला मैं कर ही नहीं सकता।
15 रब ने मेरे दरमियान के तमाम सूरमाओं को रद्द कर दिया, उसने मेरे ख़िलाफ़ जुलूस निकलवाया जो मेरे जवानों को पाश पाश करे। हाँ, रब ने कुँवारी यहूदाह बेटी को अंगूर का रस निकालने के हौज़ में फेंककर कुचल डाला।
16 इसलिए मैं रो रही हूँ, मेरी आँखों से आँसू टपकते रहते हैं। क्योंकि क़रीब कोई नहीं है जो मुझे तसल्ली देकर मेरी जान को तरो-ताज़ा करे। मेरे बच्चे तबाह हैं, क्योंकि दुश्मन ग़ालिब आ गया है।”
18 “रब हक़-बजानिब है, क्योंकि मैं उसके कलाम से सरकश हुई। ऐ तमाम अक़वाम, सुनो! मेरी ईज़ा पर ग़ौर करो! मेरे नौजवान और कुँवारियाँ जिलावतन हो गए हैं।
19 मैंने अपने आशिक़ों को बुलाया, लेकिन उन्होंने बेवफ़ा होकर मुझे तर्क कर दिया। अब मेरे इमाम और बुज़ुर्ग अपनी जान बचाने के लिए ख़ुराक ढूँडते ढूँडते शहर में हलाक हो गए हैं।
20 ऐ रब, मेरी तंगदस्ती पर ध्यान दे! बातिन में मैं तड़प रही हूँ, मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा है, इसलिए कि मैं इतनी ज़्यादा सरकश रही हूँ। बाहर गली में तलवार ने मुझे बच्चों से महरूम कर दिया, घर के अंदर मौत मेरे पीछे पड़ी है।
21 मेरी आहें तो लोगों तक पहुँचती हैं, लेकिन कोई मुझे तसल्ली देने के लिए नहीं आता। इसके बजाए मेरे तमाम दुश्मन मेरी मुसीबत के बारे में सुनकर बग़लें बजा रहे हैं। वह ख़ुश हैं कि तूने मेरे साथ ऐसा सुलूक किया है। ऐ रब, वह दिन आने दे जिसका एलान तूने किया है ताकि वह भी मेरी तरह की मुसीबत में फँस जाएँ।
22 उनकी तमाम बुरी हरकतें तेरे सामने आएँ। उनसे यों निपट ले जिस तरह तूने मेरे गुनाहों के जवाब में मुझसे निपट लिया है। क्योंकि आहें भरते भरते मेरा दिल निढाल हो गया है।”
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