3 शमौन पतरस ने कहा, “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ।”
6 उसने कहा, “अपना जाल कश्ती के दाएँ हाथ डालो, फिर तुमको कुछ मिलेगा।” उन्होंने ऐसा किया तो मछलियों की इतनी बड़ी तादाद थी कि वह जाल कश्ती तक न ला सके।
7 इस पर ख़ुदावंद के प्यारे शागिर्द ने पतरस से कहा, “यह तो ख़ुदावंद है।” यह सुनते ही कि ख़ुदावंद है शमौन पतरस अपनी चादर ओढ़कर पानी में कूद पड़ा (उसने चादर को काम करने के लिए उतार लिया था।) 8 दूसरे शागिर्द कश्ती पर सवार उसके पीछे आए। वह किनारे से ज़्यादा दूर नहीं थे, तक़रीबन सौ मीटर के फ़ासले पर थे। इसलिए वह मछलियों से भरे जाल को पानी में खींच खींचकर ख़ुश्की तक लाए। 9 जब वह कश्ती से उतरे तो देखा कि लकड़ी के कोयलों की आग पर मछलियाँ भुनी जा रही हैं और साथ रोटी भी है। 10 ईसा ने उनसे कहा, “उन मछलियों में से कुछ ले आओ जो तुमने अभी पकड़ी हैं।”
11 शमौन पतरस कश्ती पर गया और जाल को ख़ुश्की पर घसीट लाया। यह जाल 153 बड़ी मछलियों से भरा हुआ था, तो भी वह न फटा। 12 ईसा ने उनसे कहा, “आओ, नाश्ता कर लो।” किसी भी शागिर्द ने सवाल करने की जुर्रत न की कि “आप कौन हैं?” क्योंकि वह तो जानते थे कि यह ख़ुदावंद ही है। 13 फिर ईसा आया और रोटी लेकर उन्हें दी और इसी तरह मछली भी उन्हें खिलाई।
14 ईसा के जी उठने के बाद यह तीसरी बार थी कि वह अपने शागिर्दों पर ज़ाहिर हुआ।
18 मैं तुझे सच बताता हूँ कि जब तू जवान था तो तू ख़ुद अपनी कमर बाँधकर जहाँ जी चाहता घुमता-फिरता था। लेकिन जब तू बूढ़ा होगा तो तू अपने हाथों को आगे बढ़ाएगा और कोई और तेरी कमर बाँधकर तुझे ले जाएगा जहाँ तेरा दिल नहीं करेगा।” 19 (ईसा की यह बात इस तरफ़ इशारा थी कि पतरस किस क़िस्म की मौत से अल्लाह को जलाल देगा।) फिर उसने उसे बताया, “मेरे पीछे चल।”
22 ईसा ने जवाब दिया, “अगर मैं चाहूँ कि यह मेरे वापस आने तक ज़िंदा रहे तो तुझे क्या? बस तू मेरे पीछे चलता रह।”
23 नतीजे में भाइयों में यह ख़याल फैल गया कि यह शागिर्द नहीं मरेगा। लेकिन ईसा ने यह बात नहीं की थी। उसने सिर्फ़ यह कहा था, “अगर मैं चाहूँ कि यह मेरे वापस आने तक ज़िंदा रहे तो तुझे क्या?”
24 यह वह शागिर्द है जिसने इन बातों की गवाही देकर इन्हें क़लमबंद कर दिया है। और हम जानते हैं कि उस की गवाही सच्ची है।