यूहन्ना
6 एक दिन अल्लाह ने अपना पैग़ंबर भेज दिया, एक आदमी जिसका नाम यहया था। 7 वह नूर की गवाही देने के लिए आया। मक़सद यह था कि लोग उस की गवाही की बिना पर ईमान लाएँ। 8 वह ख़ुद तो नूर न था बल्कि उसे सिर्फ़ नूर की गवाही देनी थी। 9 हक़ीक़ी नूर जो हर शख़्स को रौशन करता है दुनिया में आने को था।
10 गो कलाम दुनिया में था और दुनिया उसके वसीले से पैदा हुई तो भी दुनिया ने उसे न पहचाना। 11 वह उसमें आया जो उसका अपना था, लेकिन उसके अपनों ने उसे क़बूल न किया। 12 तो भी कुछ उसे क़बूल करके उसके नाम पर ईमान लाए। उन्हें उसने अल्लाह के फ़रज़ंद बनने का हक़ बख़्श दिया, 13 ऐसे फ़रज़ंद जो न फ़ितरी तौर पर, न किसी इनसान या मर्द के मनसूबे से पैदा हुए बल्कि अल्लाह से।
14 कलाम इनसान बनकर हमारे दरमियान रिहाइशपज़ीर हुआ और हमने उसके जलाल का मुशाहदा किया। वह फ़ज़ल और सच्चाई से मामूर था और उसका जलाल बाप के इकलौते फ़रज़ंद का-सा था।
15 यहया उसके बारे में गवाही देकर पुकार उठा, “यह वही है जिसके बारे में मैंने कहा, एक मेरे बाद आनेवाला है जो मुझसे बड़ा है, क्योंकि वह मुझसे पहले था।”
16 उस की कसरत से हम सबने फ़ज़ल पर फ़ज़ल पाया। 17 क्योंकि शरीअत मूसा की मारिफ़त दी गई, लेकिन अल्लाह का फ़ज़ल और सच्चाई ईसा मसीह के वसीले से क़ायम हुई। 18 किसी ने कभी भी अल्लाह को नहीं देखा। लेकिन इकलौता फ़रज़ंद जो अल्लाह की गोद में है उसी ने अल्लाह को हम पर ज़ाहिर किया है।
20 उसने इनकार न किया बल्कि साफ़ तसलीम किया, “मैं मसीह नहीं हूँ।”
21 उन्होंने पूछा, “तो फिर आप कौन हैं? क्या आप इलियास हैं?”
22 “तो फिर हमें बताएँ कि आप कौन हैं? जिन्होंने हमें भेजा है उन्हें हमें कोई न कोई जवाब देना है। आप ख़ुद अपने बारे में क्या कहते हैं?”
23 यहया ने यसायाह नबी का हवाला देकर जवाब दिया, “मैं रेगिस्तान में वह आवाज़ हूँ जो पुकार रही है, रब का रास्ता सीधा बनाओ।”
24 भेजे गए लोग फ़रीसी फ़िरक़े से ताल्लुक़ रखते थे। 25 उन्होंने पूछा, “अगर आप न मसीह हैं, न इलियास या आनेवाला नबी तो फिर आप बपतिस्मा क्यों दे रहे हैं?”
26 यहया ने जवाब दिया, “मैं तो पानी से बपतिस्मा देता हूँ, लेकिन तुम्हारे दरमियान ही एक खड़ा है जिसको तुम नहीं जानते। 27 वही मेरे बाद आनेवाला है और मैं उसके जूतों के तसमे भी खोलने के लायक़ नहीं।”
28 यह यरदन के पार बैत-अनियाह में हुआ जहाँ यहया बपतिस्मा दे रहा था।
32 और यहया ने यह गवाही दी, “मैंने देखा कि रूहुल-क़ुद्स कबूतर की तरह आसमान पर से उतरकर उस पर ठहर गया। 33 मैं तो उसे नहीं जानता था, लेकिन जब अल्लाह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए भेजा तो उसने मुझे बताया, ‘तू देखेगा कि रूहुल-क़ुद्स उतरकर किसी पर ठहर जाएगा। यह वही होगा जो रूहुल-क़ुद्स से बपतिस्मा देगा।’ 34 अब मैंने देखा है और गवाही देता हूँ कि यह अल्लाह का फ़रज़ंद है।”
37 उस की यह बात सुनकर उसके दो शागिर्द ईसा के पीछे हो लिए। 38 ईसा ने मुड़कर देखा कि यह मेरे पीछे चल रहे हैं तो उसने पूछा, “तुम क्या चाहते हो?”
39 उसने जवाब दिया, “आओ, ख़ुद देख लो।” चुनाँचे वह उसके साथ गए। उन्होंने वह जगह देखी जहाँ वह ठहरा हुआ था और दिन के बाक़ी वक़्त उसके पास रहे। शाम के तक़रीबन चार बज गए थे।
40 शमौन पतरस का भाई अंदरियास उन दो शागिर्दों में से एक था जो यहया की बात सुनकर ईसा के पीछे हो लिए थे। 41 अब उस की पहली मुलाक़ात उसके अपने भाई शमौन से हुई। उसने उसे बताया, “हमें मसीह मिल गया है।” (मसीह का मतलब ‘मसह किया हुआ शख़्स’ है।) 42 फिर वह उसे ईसा के पास ले गया।
46 नतनेल ने कहा, “नासरत? क्या नासरत से कोई अच्छी चीज़ निकल सकती है?”
47 जब ईसा ने नतनेल को आते देखा तो उसने कहा, “लो, यह सच्चा इसराईली है जिसमें मकर नहीं।”
48 नतनेल ने पूछा, “आप मुझे कहाँ से जानते हैं?”
49 नतनेल ने कहा, “उस्ताद, आप अल्लाह के फ़रज़ंद हैं, आप इसराईल के बादशाह हैं।”
50 ईसा ने उससे पूछा, “अच्छा, मेरी यह बात सुनकर कि मैंने तुझे अंजीर के दरख़्त के साये में देखा तू ईमान लाया है? तू इससे कहीं बड़ी बातें देखेगा।” 51 उसने बात जारी रखी, “मैं तुमको सच बताता हूँ कि तुम आसमान को खुला और अल्लाह के फ़रिश्तों को ऊपर चढ़ते और इब्ने-आदम पर उतरते देखोगे।”
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