1 रब फ़रमाता है, “उस वक़्त दुश्मन क़ब्रों को खोलकर यहूदाह के बादशाहों, अफ़सरों, इमामों, नबियों और यरूशलम के आम बाशिंदों की हड्डियों को निकालेगा 2 और ज़मीन पर बिखेर देगा। वहाँ वह उनके सामने पड़ी रहेंगी जो उन्हें प्यारे थे यानी सूरज, चाँद और सितारों के तमाम लशकर के सामने। क्योंकि वह उन्हीं की ख़िदमत करते, उन्हीं के पीछे चलते, उन्हीं के तालिब रहते, और उन्हीं को सिजदा करते थे। उनकी हड्डियाँ दुबारा न इकट्ठी की जाएँगी, न दफ़न की जाएँगी बल्कि खेत में गोबर की तरह बिखरी पड़ी रहेंगी। 3 और जहाँ भी मैं इस शरीर क़ौम के बचे हुओं को मुंतशिर करूँगा वहाँ वह सब कहेंगे कि काश हम भी ज़िंदा न रहें बल्कि मर जाएँ।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।
8 तुम किस तरह कह सकते हो, ‘हम दानिशमंद हैं, क्योंकि हमारे पास रब की शरीअत है’? हक़ीक़त में कातिबों के फ़रेबदेह क़लम ने इसे तोड़-मरोड़कर बयान किया है। 9 सुनो, दानिशमंदों की रुसवाई हो जाएगी, वह दहशतज़दा होकर पकड़े जाएंगे। देखो, रब का कलाम रद्द करने के बाद उनकी अपनी हिकमत कहाँ रही?
10 इसलिए मैं उनकी बीवियों को परदेसियों के हवाले कर दूँगा और उनके खेतों को ऐसे लोगों के सुपुर्द जो उन्हें निकाल देंगे। क्योंकि छोटे से लेकर बड़े तक सबके सब नाजायज़ नफ़ा के पीछे पड़े हैं, नबियों से लेकर इमामों तक सब धोकेबाज़ हैं। 11 वह मेरी क़ौम के ज़ख़म पर आरिज़ी मरहम-पट्टी लगाकर कहते हैं, ‘अब सब कुछ ठीक हो गया है, अब सलामती का दौर आ गया है’ हालाँकि सलामती है ही नहीं।
12 गो ऐसा घिनौना रवैया उनके लिए शर्म का बाइस होना चाहिए, लेकिन वह शर्म नहीं करते बल्कि सरासर बेशर्म हैं। इसलिए जब सब कुछ गिर जाएगा तो यह लोग भी गिर जाएंगे। जब मैं इन पर सज़ा नाज़िल करूँगा तो यह ठोकर खाकर ख़ाक में मिल जाएंगे।” यह रब का फ़रमान है।
13 रब फ़रमाता है, “मैं उनकी पूरी फ़सल छीन लूँगा। अंगूर की बेल पर एक दाना भी नहीं रहेगा, अंजीर के तमाम दरख़्त फल से महरूम हो जाएंगे बल्कि तमाम पत्ते भी झड़ जाएंगे। जो कुछ भी मैंने उन्हें अता किया था वह उनसे छीन लिया जाएगा।
14 तब तुम कहोगे, ‘हम यहाँ क्यों बैठे रहें? आओ, हम क़िलाबंद शहरों में पनाह लेकर वहीं हलाक हो जाएँ। हमने रब अपने ख़ुदा का गुनाह किया है, और अब हम इसका नतीजा भुगत रहे हैं। क्योंकि उसी ने हमें हलाकत के हवाले करके हमें ज़हरीला पानी पिला दिया है। 15 हम सलामती के इंतज़ार में रहे, लेकिन हालात ठीक न हुए। हम शफ़ा पाने की उम्मीद रखते थे, लेकिन इसके बजाए हम पर दहशत छा गई। 16 सुनो! दुश्मन के घोड़े नथने फुला रहे हैं। दान से उनका शोर हम तक पहुँच रहा है। उनके हिनहिनाने से पूरा मुल्क थरथरा रहा है, क्योंकि आते वक़्त यह पूरे मुल्क को उसके शहरों और बाशिंदों समेत हड़प कर लेंगे’।”
20 लोग आहें भर भरकर कहते हैं, “फ़सल कट गई है, फल चुना गया है, लेकिन अब तक हमें नजात हासिल नहीं हुई।”
21 मेरी क़ौम की मुकम्मल तबाही देखकर मेरा दिल टूट गया है। मैं मातम कर रहा हूँ, क्योंकि उस की हालत इतनी बुरी है कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं। 22 क्या जिलियाद में मरहम नहीं? क्या वहाँ डाक्टर नहीं मिलता? मुझे बताओ, मेरी क़ौम का ज़ख़म क्यों नहीं भरता?
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