3 “ऐ हसबोन, वावैला कर, क्योंकि अई शहर बरबाद हुआ है। ऐ रब्बा की बेटियो, मदद के लिए चिल्लाओ! टाट ओढ़कर मातम करो! बाड़ों के अंदर बेचैनी से इधर-उधर फिरो! क्योंकि मलिक देवता अपने पुजारियों और बुज़ुर्गों समेत जिलावतन हो जाएगा। 4 ऐ बेवफ़ा बेटी, तू घाटियों पर, पानी से छलकती अपनी वादी पर कितना फ़ख़्र करती है! तू अपने मालो-दौलत पर भरोसा करके शेख़ी मारती है कि अब मुझ पर कोई हमला नहीं करेगा।” 5 क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “मैं तमाम पड़ोसियों की तरफ़ से तुझ पर दहशत छा जाने दूँगा। तुम सबको चारों तरफ़ मुंतशिर कर दिया जाएगा, और तेरे पनाहगुज़ीनों को कोई जमा नहीं करेगा।
6 लेकिन बाद में मैं अम्मोनियों को बहाल करूँगा।” यह रब का फ़रमान है।
8 ऐ ददान के बाशिंदो, भागकर हिजरत करो, ज़मीन के अंदर छुप जाओ। क्योंकि मैं एसौ की औलाद पर आफ़त नाज़िल करता हूँ, मेरी सज़ा का दिन क़रीब आ गया है। 9 ऐ अदोम, अगर तू अंगूर का बाग़ होता और मज़दूर फ़सल चुनने के लिए आते तो थोड़ा-बहुत उनके पीछे रह जाता। अगर डाकू रात के वक़्त तुझे लूट लेते तो वह सिर्फ़ उतना ही छीन लेते जितना उठाकर ले जा सकते हैं। लेकिन तेरा अंजाम इससे कहीं ज़्यादा बुरा होगा। 10 क्योंकि मैंने एसौ को नंगा करके उस की तमाम छुपने की जगहें ढूँड निकाली हैं। वह कहीं भी छुप नहीं सकेगा। उस की औलाद, भाई और हमसाये हलाक हो जाएंगे, एक भी बाक़ी नहीं रहेगा। 11 अपने यतीमों को पीछे छोड़ दे, क्योंकि मैं उनकी जान को बचाए रखूँगा। तुम्हारी बेवाएँ भी मुझ पर भरोसा रखें।”
12 रब फ़रमाता है, “जिन्हें मेरे ग़ज़ब का प्याला पीने का फ़ैसला नहीं सुनाया गया था उन्हें भी पीना पड़ा। तो फिर तेरी जान किस तरह बचेगी? नहीं, तू यक़ीनन सज़ा का प्याला पी लेगा।” 13 रब फ़रमाता है, “मेरे नाम की क़सम, बुसरा शहर गिर्दो-नवाह के तमाम शहरों समेत अबदी खंडरात बन जाएगा। उसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे, और वह उसे लान-तान करेंगे। लानत करनेवाला अपने दुश्मन के लिए बुसरा ही का-सा अंजाम चाहेगा।”
14 मैंने रब की तरफ़ से पैग़ाम सुना है, “एक क़ासिद को अक़वाम के पास भेजा गया है जो उन्हें हुक्म दे, ‘जमा होकर अदोम पर हमला करने के लिए निकलो! उससे लड़ने के लिए उठो!’
15 अब मैं तुझे छोटा बना दूँगा, एक ऐसी क़ौम जिसे दीगर लोग हक़ीर जानेंगे। 16 माज़ी में दूसरे तुझसे दहशत खाते थे, लेकिन इस बात ने और तेरे ग़ुरूर ने तुझे फ़रेब दिया है। बेशक तू चट्टानों की दराड़ों में बसेरा करता है, और पहाड़ी बुलंदियाँ तेरे क़ब्ज़े में हैं। लेकिन ख़ाह तू अपना घोंसला उक़ाब की-सी ऊँची जगहों पर क्यों न बनाए तो भी मैं तुझे वहाँ से उतारकर ख़ाक में मिला दूँगा।” यह रब का फ़रमान है।
17 “मुल्के-अदोम यों बरबाद हो जाएगा कि वहाँ से गुज़रनेवालों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। उसके ज़ख़मों को देखकर वह ‘तौबा तौबा’ कहेंगे।” 18 रब फ़रमाता है, “उसका अंजाम सदूम, अमूरा और उनके पड़ोसी शहरों की मानिंद होगा जिन्हें अल्लाह ने उलटाकर नेस्तो-नाबूद कर दिया। वहाँ कोई नहीं बसेगा। 19 जिस तरह शेर-बबर यरदन के जंगल से निकलकर शादाब चरागाहों में चरनेवाली भेड़-बकरियों पर टूट पड़ता है उसी तरह मैं एकदम अदोम को उसके अपने मुल्क से भगा दूँगा। तब मैं अपने चुने हुए आदमी को अदोम पर मुक़र्रर करूँगा। क्योंकि कौन मेरे बराबर है? कौन मुझसे जवाब तलब कर सकता है? वह गल्लाबान कहाँ है जो मेरा मुक़ाबला कर सके?”
20 चुनाँचे अदोम पर रब का फ़ैसला सुनो! तेमान के बाशिंदों के लिए उसके मनसूबे पर ध्यान दो! दुश्मन पूरे रेवड़ को सबसे नन्हे बच्चों से लेकर बड़ों तक घसीटकर ले जाएगा। उसकी चरागाह वीरानो-सुनसान हो जाएगी। 21 अदोम इतने धड़ाम से गिर जाएगा कि ज़मीन थरथरा उठेगी। लोगों की चीख़ें बहरे-क़ुलज़ुम तक सुनाई देंगी। 22 वह देखो! दुश्मन उक़ाब की तरह उड़कर अदोम पर झपट्टा मारता है। वह अपने परों को फैलाकर बुसरा पर साया डालता है। उस दिन अदोमी सूरमाओं का दिल दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह पेचो-ताब खाएगा।
25 हाय, दमिश्क़ को तर्क किया गया है! जिस मशहूर शहर से मेरा दिल लुत्फ़अंदोज़ होता था वह वीरानो-सुनसान है।” 26 रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “उस दिन उसके जवान आदमी गलियों में गिरकर रह जाएंगे, उसके तमाम फ़ौजी हलाक हो जाएंगे। 27 मैं दमिश्क़ की फ़सील को आग लगा दूँगा जो फैलते फैलते बिन-हदद बादशाह के महलों को भी अपनी लपेट में ले लेगी।”
30 रब फ़रमाता है, “ऐ हसूर में बसनेवाले क़बीलो, जल्दी से भाग जाओ, ज़मीन की दराड़ों में छुप जाओ! क्योंकि शाहे-बाबल ने तुम पर हमला करने का फ़ैसला करके तुम्हारे ख़िलाफ़ मनसूबा बाँध लिया है।” 31 रब फ़रमाता है, “ऐ बाबल के फ़ौजियो, उठकर उस क़ौम पर हमला करो जो अलहदगी में पुरसुकून और महफ़ूज़ ज़िंदगी गुज़ारती है, जिसके न दरवाज़े, न कुंडे हैं। 32 उनके ऊँट और बड़े बड़े रेवड़ लूट का माल बन जाएंगे। क्योंकि मैं रेगिस्तान के किनारे पर रहनेवाले इन क़बीलों को चारों तरफ़ मुंतशिर कर दूँगा। उन पर चारों तरफ़ से आफ़त आएगी।” यह रब का फ़रमान है। 33 “हसूर हमेशा तक वीरानो-सुनसान रहेगा, उसमें कोई नहीं बसेगा। गीदड़ ही उसमें अपने घर बना लेंगे।”
35 “रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, ‘मैं ऐलाम की कमान को तोड़ डालता हूँ, उस हथियार को जिस पर ऐलाम की ताक़त मबनी है। 36 आसमान की चारों सिम्तों से मैं ऐलामियों के ख़िलाफ़ तेज़ हवाएँ चलाऊँगा जो उन्हें उड़ाकर चारों तरफ़ मुंतशिर कर देंगी। कोई ऐसा मुल्क नहीं होगा जिस तक ऐलामी जिलावतन नहीं पहुँचेंगे।’ 37 रब फ़रमाता है, ‘मैं ऐलाम को उसके जानी दुश्मनों के सामने पाश पाश कर दूँगा। मैं उन पर आफ़त लाऊँगा, मेरा सख़्त क़हर उन पर नाज़िल होगा। जब तक वह नेस्त न हों मैं तलवार को उनके पीछे चलाता रहूँगा। 38 तब मैं ऐलाम में अपना तख़्त खड़ा करके उसके बादशाह और बुज़ुर्गों को तबाह कर दूँगा।’ यह रब का फ़रमान है।
39 लेकिन रब यह भी फ़रमाता है, ‘आनेवाले दिनों में मैं ऐलाम को बहाल करूँगा’।”
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