3 रब यहूदाह और यरूशलम के बाशिंदों से फ़रमाता है, “अपने दिलों की ग़ैरमुस्तामल ज़मीन पर हल चलाकर उसे क़ाबिले-काश्त बनाओ! अपने बीज काँटेदार झाड़ियों में बोकर ज़ाया मत करना। 4 ऐ यहूदाह और यरूशलम के बाशिंदो, अपने आपको रब के लिए मख़सूस करके अपना ख़तना कराओ यानी अपने दिलों का ख़तना कराओ, वरना मेरा क़हर तुम्हारे ग़लत कामों के बाइस कभी न बुझनेवाली आग की तरह तुझ पर नाज़िल होगा।
7 शेरबबर जंगल में अपनी छुपने की जगह से निकल आया, क़ौमों को हलाक करनेवाला अपने मक़ाम से रवाना हो चुका है ताकि तेरे मुल्क को तबाह करे। तेरे शहर बरबाद हो जाएंगे, और उनमें कोई नहीं रहेगा।
8 चुनाँचे टाट का लिबास पहनकर आहो-ज़ारी करो, क्योंकि रब का सख़्त ग़ज़ब अब तक हम पर नाज़िल हो रहा है।”
9 रब फ़रमाता है, “उस दिन बादशाह और उसके अफ़सर हिम्मत हारेंगे, इमामों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे और नबी ख़ौफ़ से सुन होकर रह जाएंगे।”
10 तब मैं बोल उठा, “हाय, हाय! ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तूने इस क़ौम और यरूशलम को कितना सख़्त फ़रेब दिया जब तूने फ़रमाया, तुम्हें अमनो-अमान हासिल होगा हालाँकि हमारे गलों पर तलवार फिरने को है।” 11 उस वक़्त इस क़ौम और यरूशलम को इत्तला दी जाएगी, “रेगिस्तान के बंजर टीलों से सब कुछ झुलसानेवाली लू मेरी क़ौम के पास आ रही है। और यह गंदुम को फटककर भूसे से अलग करनेवाली मुफ़ीद हवा नहीं होगी 12 बल्कि आँधी जैसी तेज़ हवा मेरी तरफ़ से आएगी। क्योंकि अब मैं उन पर अपने फ़ैसले सादिर करूँगा।”
13 देखो, दुश्मन तूफ़ानी बादलों की तरह आगे बढ़ रहा है! उसके रथ आँधी जैसे, और उसके घोड़े उक़ाब से तेज़ हैं। हाय, हम पर अफ़सोस! हमारा अंजाम आ गया है।
14 ऐ यरूशलम, अपने दिल को धोकर बुराई से साफ़ कर ताकि तुझे छुटकारा मिले। तू अंदर ही अंदर कब तक अपने शरीर मनसूबे बाँधती रहेगी?
15 सुनो! दान से बुरी ख़बरें आ रही हैं, इफ़राईम पहाड़ से आफ़त का पैग़ाम पहुँच रहा है। 16 ग़ैरअक़वाम को इत्तला दो और यरूशलम के बारे में एलान करो, “मुहासरा करनेवाले फ़ौजी दूर-दराज़ मुल्क से आ रहे हैं! वह जंग के नारे लगा लगाकर यहूदाह के शहरों पर टूट पड़ेंगे। 17 तब वह खेतों की चौकीदारी करनेवालों की तरह यरूशलम को घेर लेंगे। क्योंकि यह शहर मुझसे सरकश हो गया है।” यह रब का फ़रमान है। 18 “यह तेरे अपने ही चाल-चलन और हरकतों का नतीजा है। हाय, तेरी बेदीनी का अंजाम कितना तलख़ और दिलख़राश है!”
22 “मेरी क़ौम अहमक़ है और मुझे नहीं जानती। वह बेवुक़ूफ़ और नासमझ बच्चे हैं। गो वह ग़लत काम करने में बहुत तेज़ हैं, लेकिन भलाई करना उनकी समझ से बाहर है।”
23 मैंने मुल्क पर नज़र डाली तो वीरानो-सुनसान था। जब आसमान की तरफ़ देखा तो अंधेरा था। 24 मेरी निगाह पहाड़ों पर पड़ी तो थरथरा रहे थे, तमाम पहाड़ियाँ हिचकोले खा रही थीं। 25 कहीं कोई शख़्स नज़र न आया, तमाम परिंदे भी उड़कर जा चुके थे। 26 मैंने मुल्क पर नज़र दौड़ाई तो क्या देखता हूँ कि ज़रख़ेज़ ज़मीन रेगिस्तान बन गई है। रब और उसके शदीद ग़ज़ब के सामने उसके तमाम शहर नेस्तो-नाबूद हो गए हैं। 27 क्योंकि रब फ़रमाता है, “पूरा मुल्क बरबाद हो जाएगा, अगरचे मैं उसे पूरे तौर पर ख़त्म नहीं करूँगा। 28 ज़मीन मातम करेगी और आसमान तारीक हो जाएगा, क्योंकि मैं यह फ़रमा चुका हूँ, और मेरा इरादा अटल है। न मैं यह करने से पछताऊँगा, न इससे बाज़ आऊँगा।”
29 घुड़सवारों और तीर चलानेवालों का शोर-शराबा सुनकर लोग तमाम शहरों से निकलकर जंगलों और चट्टानों में खिसक जाएंगे। तमाम शहर वीरानो-सुनसान होंगे, किसी में भी लोग नहीं बसेंगे।
30 तो फिर तू क्या कर रही है, तू जिसे ख़ाक में मिला दिया गया है? अब क़िरमिज़ी लिबास और सोने के ज़ेवरात पहनने की क्या ज़रूरत है? इस वक़्त अपनी आँखों को सुरमे से सजाने और अपने आपको आरास्ता करने का कोई फ़ायदा नहीं। तेरे आशिक़ तो तुझे हक़ीर जानते बल्कि तुझे जान से मारने के दरपै हैं। 31 क्योंकि मुझे दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की आवाज़, पहली बार जन्म देनेवाली की आहो-ज़ारी सुनाई दे रही है। सिय्यून बेटी कराह रही है, वह अपने हाथ फैलाए हुए कह रही है, “हाय, मुझ पर अफ़सोस! मेरी जान क़ातिलों के हाथ में आकर निकल रही है।”
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