2 अपनी नज़र बंजर पहाड़ियों की तरफ़ उठाकर देख! क्या कोई जगह है जहाँ ज़िना करने से तेरी बेहुरमती नहीं हुई? रेगिस्तान में तनहा बैठनेवाले बद्दू की तरह तू रास्तों के किनारे पर अपने आशिक़ों की ताक में बैठी रही है। अपनी इसमतफ़रोशी और बदकारी से तूने मुल्क की बेहुरमती की है। 3 इसी वजह से बहार में बरसात का मौसम रोका गया और बारिश नहीं पड़ी। लेकिन अफ़सोस, तू कसबी की-सी पेशानी रखती है, तू शर्म खाने के लिए तैयार ही नहीं। 4 इस वक़्त भी तू चीख़ती-चिल्लाती आवाज़ देती है, ‘ऐ मेरे बाप, जो मेरी जवानी से मेरा दोस्त है, 5 क्या तू हमेशा तक मेरे साथ नाराज़ रहेगा? क्या तेरा क़हर कभी ठंडा नहीं होगा?’ यही तेरे अपने अलफ़ाज़ हैं, लेकिन साथ साथ तू ग़लत काम करने की हर मुमकिन कोशिश करती रहती है।”
6 यूसियाह बादशाह की हुकूमत के दौरान रब मुझसे हमकलाम हुआ, “क्या तूने वह कुछ देखा जो बेवफ़ा इसराईल ने किया है? उसने हर बुलंदी पर और हर घने दरख़्त के साये में ज़िना किया है। 7 मैंने सोचा कि यह सब कुछ करने के बाद वह मेरे पास वापस आएगी। लेकिन अफ़सोस, ऐसा न हुआ। उस की ग़द्दार बहन यहूदाह भी इन तमाम वाक़ियात की गवाह थी। 8 बेवफ़ा इसराईल की ज़िनाकारी नाक़ाबिले-बरदाश्त थी, इसलिए मैंने उसे घर से निकालकर तलाक़नामा दे दिया। फिर भी मैंने देखा कि उस की ग़द्दार बहन यहूदाह ने ख़ौफ़ न खाया बल्कि ख़ुद निकलकर ज़िना करने लगी। 9 इसराईल को इस जुर्म की संजीदगी महसूस न हुई बल्कि उसने पत्थर और लकड़ी के बुतों के साथ ज़िना करके मुल्क की बेहुरमती की। 10 इसके बावुजूद उस की बेवफ़ा बहन यहूदाह पूरे दिल से नहीं बल्कि सिर्फ़ ज़ाहिरी तौर पर मेरे पास वापस आई।” यह रब का फ़रमान है।
13 लेकिन लाज़िम है कि तू अपना क़ुसूर तसलीम करे। इक़रार कर कि मैं रब अपने ख़ुदा से सरकश हुई। मैं इधर-उधर घूमकर हर घने दरख़्त के साये में अजनबी माबूदों की पूजा करती रही, मैंने रब की न सुनी’।” यह रब का फ़रमान है। 14 रब फ़रमाता है, “ऐ बेवफ़ा बच्चो, वापस आओ, क्योंकि मैं तुम्हारा मालिक हूँ। मैं तुम्हें हर जगह से निकालकर सिय्यून में वापस लाऊँगा। किसी शहर से मैं एक को निकाल लाऊँगा, और किसी ख़ानदान से दो अफ़राद को।
15 तब मैं तुम्हें ऐसे गल्लाबानों से नवाज़ूँगा जो मेरी सोच रखेंगे और जो समझ और अक़्ल के साथ तुम्हारी गल्लाबानी करेंगे। 16 फिर तुम्हारी तादाद बहुत बढ़ेगी और तुम चारों तरफ़ फैल जाओगे।” रब फ़रमाता है, “उन दिनों में रब के अहद के संदूक़ का ज़िक्र नहीं किया जाएगा। न उसका ख़याल आएगा, न उसे याद किया जाएगा। न उस की कमी महसूस होगी, न उसे दुबारा बनाया जाएगा। 17 क्योंकि उस वक़्त यरूशलम ‘रब का तख़्त’ कहलाएगा, और उसमें तमाम अक़वाम रब के नाम की ताज़ीम में जमा हो जाएँगी। तब वह अपने शरीर और ज़िद्दी दिलों के मुताबिक़ ज़िंदगी नहीं गुज़ारेंगी। 18 तब यहूदाह का घराना इसराईल के घराने के पास आएगा, और वह मिलकर शिमाली मुल्क से उस मुल्क में वापस आएँगे जो मैंने तुम्हारे बापदादा को मीरास में दिया था।
19 मैंने सोचा, काश मैं तेरे साथ बेटों का-सा सुलूक करके तुझे एक ख़ुशगवार मुल्क दे सकूँ, एक ऐसी मीरास जो दीगर अक़वाम की निसबत कहीं शानदार हो। मैं समझा कि तुम मुझे अपना बाप ठहराकर अपना मुँह मुझसे नहीं फेरोगे। 20 लेकिन ऐ इसराईली क़ौम, तू मुझसे बेवफ़ा रही है, बिलकुल उस औरत की तरह जो अपने शौहर से बेवफ़ा हो गई है।” यह रब का फ़रमान है।
21 “सुनो! बंजर बुलंदियों पर चीख़ें और इल्तिजाएँ सुनाई दे रही हैं। इसराईली रो रहे हैं, इसलिए कि वह ग़लत राह इख़्तियार करके रब अपने ख़ुदा को भूल गए हैं। 22 ऐ बेवफ़ा बच्चो, वापस आओ ताकि मैं तुम्हारे बेवफ़ा दिलों को शफ़ा दे सकूँ।”