8 इस क़ौम को बता कि रब फ़रमाता है, ‘मैं तुम्हें अपनी जान को बचाने का मौक़ा फ़राहम करता हूँ। इससे फ़ायदा उठाओ, वरना तुम मरोगे। 9 अगर तुम तलवार, काल या वबा से मरना चाहो तो इस शहर में रहो। लेकिन अगर तुम अपनी जान को बचाना चाहो तो शहर से निकलकर अपने आपको बाबल की मुहासरा करनेवाली फ़ौज के हवाले करो। जो कोई यह करे उस की जान छूट जाएगी।’ [a]
10 रब फ़रमाता है, ‘मैंने अटल फ़ैसला किया है कि इस शहर पर मेहरबानी नहीं करूँगा बल्कि इसे नुक़सान पहुँचाऊँगा। इसे शाहे-बाबल के हवाले कर दिया जाएगा जो इसे आग लगाकर तबाह करेगा।’
11 यहूदाह के शाही ख़ानदान से कह, ‘रब का कलाम सुनो! 12 ऐ दाऊद के घराने, रब फ़रमाता है कि हर सुबह लोगों का इनसाफ़ करो। जिसे लूट लिया गया हो उसे ज़ालिम के हाथ से बचाओ! ऐसा न हो कि मेरा ग़ज़ब तुम्हारी शरीर हरकतों की वजह से तुम पर नाज़िल होकर आग की तरह भड़क उठे और कोई न हो जो उसे बुझा सके।
13 रब फ़रमाता है कि ऐ यरूशलम, तू वादी के ऊपर ऊँची चट्टान पर रहकर फ़ख़र करती है कि कौन हम पर हमला करेगा, कौन हमारे घरों में घुस सकता है? लेकिन अब मैं ख़ुद तुझसे निपट लूँगा। 14 रब फ़रमाता है कि मैं तुम्हारी हरकतों का पूरा अज्र दूँगा। मैं यरूशलम के जंगल में ऐसी आग लगा दूँगा जो इर्दगिर्द सब कुछ भस्म कर देगी’।”
<- यरमियाह 20यरमियाह 22 ->- a लफ़्ज़ी तरजुमा : वह ग़नीमत के तौर पर अपनी जान को बचाएगा।