6 चुनाँचे ख़बरदार! रब फ़रमाता है कि ऐसा वक़्त आनेवाला है जब यह वादी “तूफ़त” या “बिन-हिन्नूम” नहीं कहलाएगी बल्कि “वादीए-क़त्लो-ग़ारत।” 7 इस जगह मैं यहूदाह और यरूशलम के मनसूबे ख़ाक में मिला दूँगा। मैं होने दूँगा कि उनके दुश्मन उन्हें मौत के घाट उतारें, कि जो उन्हें जान से मारना चाहें वह इसमें कामयाब हो जाएँ। तब मैं उनकी लाशों को परिंदों और दरिंदों को खिला दूँगा। 8 मैं इस शहर को हौलनाक तरीक़े से तबाह करूँगा। तब दूसरे उसे अपने मज़ाक़ का निशाना बनाएँगे। जो भी गुज़रे उसके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। उस की तबाहशुदा हालत देखकर वह “तौबा तौबा” कहेगा। 9 जब उनका जानी दुश्मन शहर का मुहासरा करेगा तो इतना सख़्त काल पड़ेगा कि बाशिंदे अपने बच्चों और एक दूसरे को खा जाएंगे।’
10 फिर साथवालों की मौजूदगी में मिट्टी के बरतन को ज़मीन पर पटख़ दे। 11 साथ साथ उन्हें बता, ‘रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है कि जिस तरह मिट्टी का बरतन पाश पाश हो गया है और उस की मरम्मत नामुमकिन है उसी तरह मैं इस क़ौम और शहर को भी पाश पाश कर दूँगा। उस वक़्त लाशों को तूफ़त में दफ़नाया जाएगा, क्योंकि कहीं और जगह नहीं मिलेगी। 12 इस शहर और इसके बाशिंदों के साथ मैं यही सुलूक करूँगा। मैं इस शहर को तूफ़त की मानिंद बना दूँगा। यह रब का फ़रमान है। 13 यरूशलम के घर यहूदाह के शाही महलों समेत तूफ़त की तरह नापाक हो जाएंगे। हाँ, वह तमाम घर नापाक हो जाएंगे जिनकी छतों पर तमाम आसमानी लशकर के लिए बख़ूर जलाया जाता और अजनबी माबूदों को मै की नज़रें पेश की जाती थीं’।”
14 इसके बाद यरमियाह वादीए-तूफ़त से वापस आया जहाँ रब ने उसे नबुव्वत करने के लिए भेजा था। फिर वह रब के घर के सहन में खड़े होकर तमाम लोगों से मुख़ातिब हुआ, 15 “रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि सुनो! मैं इस शहर और यहूदाह के दीगर शहरों पर वह तमाम मुसीबत लाने को हूँ जिसका एलान मैंने किया है। क्योंकि तुम अड़ गए हो और मेरी बातें सुनने के लिए तैयार ही नहीं।”
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