7-8 तब उसने उनमें एक नबी भेज दिया जिसने कहा, “रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि मैं ही तुम्हें मिसर की ग़ुलामी से निकाल लाया। 9 मैंने तुम्हें मिसर के हाथ से और उन तमाम ज़ालिमों के हाथ से बचा लिया जो तुम्हें दबा रहे थे। मैं उन्हें तुम्हारे आगे आगे निकालता गया और उनकी ज़मीन तुम्हें दे दी। 10 उस वक़्त मैंने तुम्हें बताया, ‘मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ। जिन अमोरियों के मुल्क में तुम रह रहे हो उनके देवताओं का ख़ौफ़ मत मानना। लेकिन तुमने मेरी न सुनी’।”
13 जिदौन ने जवाब दिया, “नहीं जनाब, अगर रब हमारे साथ हो तो यह सब कुछ हमारे साथ क्यों हो रहा है? उसके वह तमाम मोजिज़े आज कहाँ नज़र आते हैं जिनके बारे में हमारे बापदादा हमें बताते रहे हैं? क्या वह नहीं कहते थे कि रब हमें मिसर से निकाल लाया? नहीं, जनाब। अब ऐसा नहीं है। अब रब ने हमें तर्क करके मिदियान के हवाले कर दिया है।”
14 रब ने उस की तरफ़ मुड़कर कहा, “अपनी इस ताक़त में जा और इसराईल को मिदियान के हाथ से बचा। मैं ही तुझे भेज रहा हूँ।”
15 लेकिन जिदौन ने एतराज़ किया, “ऐ रब, मैं इसराईल को किस तरह बचाऊँ? मेरा ख़ानदान मनस्सी के क़बीले का सबसे कमज़ोर ख़ानदान है, और मैं अपने बाप के घर में सबसे छोटा हूँ।”
16 रब ने जवाब दिया, “मैं तेरे साथ हूँगा, और तू मिदियानियों को यों मारेगा जैसे एक ही आदमी को।”
17 तब जिदौन ने कहा, “अगर मुझ पर तेरे करम की नज़र हो तो मुझे कोई इलाही निशान दिखा ताकि साबित हो जाए कि वाक़ई रब ही मेरे साथ बात कर रहा है। 18 मैं अभी जाकर क़ुरबानी तैयार करता हूँ और फिर वापस आकर उसे तुझे पेश करूँगा। उस वक़्त तक रवाना न हो जाना।”
19 जिदौन चला गया। उसने बकरी का बच्चा ज़बह करके तैयार किया और पूरे 16 किलोग्राम मैदे से बेख़मीरी रोटी बनाई। फिर गोश्त को टोकरी में रखकर और उसका शोरबा अलग बरतन में डालकर वह सब कुछ रब के फ़रिश्ते के पास लाया और उसे बलूत के साये में पेश किया।
20 रब के फ़रिश्ते ने कहा, “गोश्त और बेख़मीरी रोटी को लेकर इस पत्थर पर रख दे, फिर शोरबा उस पर उंडेल दे।” जिदौन ने ऐसा ही किया। 21 रब के फ़रिश्ते के हाथ में लाठी थी। अब उसने लाठी के सिरे से गोश्त और बेख़मीरी रोटी को छू दिया। अचानक पत्थर से आग भड़क उठी और ख़ुराक भस्म हो गई। साथ साथ रब का फ़रिश्ता ओझल हो गया।
22 फिर जिदौन को यक़ीन आया कि यह वाक़ई रब का फ़रिश्ता था, और वह बोल उठा, “हाय रब क़ादिरे-मुतलक़! मुझ पर अफ़सोस, क्योंकि मैंने रब के फ़रिश्ते को रूबरू देखा है।”
23 लेकिन रब उससे हमकलाम हुआ और कहा, “तेरी सलामती हो। मत डर, तू नहीं मरेगा।”
24 वहीं जिदौन ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई और उसका नाम ‘रब सलामत है’ रखा। यह आज तक अबियज़र के ख़ानदान के शहर उफ़रा में मौजूद है।
27 चुनाँचे जिदौन ने अपने दस नौकरों को साथ लेकर वह कुछ किया जिसका हुक्म रब ने उसे दिया था। लेकिन वह अपने ख़ानदान और शहर के लोगों से डरता था, इसलिए उसने यह काम दिन के बजाए रात के वक़्त किया।
28 सुबह के वक़्त जब शहर के लोग उठे तो देखा कि बाल की क़ुरबानगाह ढा दी गई है और यसीरत देवी का साथवाला खंबा काट दिया गया है। इनकी जगह एक नई क़ुरबानगाह बनाई गई है जिस पर बैल को चढ़ाया गया है। 29 उन्होंने एक दूसरे से पूछा, “किसने यह किया?” जब वह इस बात की तफ़तीश करने लगे तो किसी ने उन्हें बताया कि जिदौन बिन युआस ने यह सब कुछ किया है।
30 तब वह युआस के घर गए और तक़ाज़ा किया, “अपने बेटे को घर से निकाल लाएँ। लाज़िम है कि वह मर जाए, क्योंकि उसने बाल की क़ुरबानगाह को गिराकर साथवाला यसीरत देवी का खंबा भी काट डाला है।”
31 लेकिन युआस ने उनसे जो उसके सामने खड़े थे कहा, “क्या आप बाल के दिफ़ा में लड़ना चाहते हैं? जो भी बाल के लिए लड़ेगा उसे कल सुबह तक मार दिया जाएगा। अगर बाल वाक़ई ख़ुदा है तो वह ख़ुद अपने दिफ़ा में लड़े जब कोई उस की क़ुरबानगाह को ढा दे।”
32 चूँकि जिदौन ने बाल की क़ुरबानगाह गिरा दी थी इसलिए उसका नाम यरुब्बाल यानी ‘बाल उससे लड़े’ पड़ गया।
36 जिदौन ने अल्लाह से दुआ की, “अगर तू वाक़ई इसराईल को अपने वादे के मुताबिक़ मेरे ज़रीए बचाना चाहता है 37 तो मुझे यक़ीन दिला। मैं रात को ताज़ा कतरी हुई ऊन गंदुम गाहने के फ़र्श पर रख दूँगा। कल सुबह अगर सिर्फ़ ऊन पर ओस पड़ी हो और इर्दगिर्द का सारा फ़र्श ख़ुश्क हो तो मैं जान लूँगा कि वाक़ई तू अपने वादे के मुताबिक़ इसराईल को मेरे ज़रीए बचाएगा।”
38 वही कुछ हुआ जिसकी दरख़ास्त जिदौन ने की थी। अगले दिन जब वह सुबह-सवेरे उठा तो ऊन ओस से तर थी। जब उसने उसे निचोड़ा तो इतना पानी था कि बरतन भर गया।
39 फिर जिदौन ने अल्लाह से कहा, “मुझसे ग़ुस्से न हो जाना अगर मैं तुझसे एक बार फिर दरख़ास्त करूँ। मुझे एक आख़िरी दफ़ा ऊन के ज़रीए तेरी मरज़ी जाँचने की इजाज़त दे। इस दफ़ा ऊन ख़ुश्क रहे और इर्दगिर्द के सारे फ़र्श पर ओस पड़ी हो।” 40 उस रात अल्लाह ने ऐसा ही किया। सिर्फ़ ऊन ख़ुश्क रही जबकि इर्दगिर्द के सारे फ़र्श पर ओस पड़ी थी।
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