5 मैं ही रब हूँ, और मेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। गो तू मुझे नहीं जानता था तो भी मैं तुझे कमरबस्ता करता हूँ 6 ताकि मशरिक़ से मग़रिब तक इनसान जान लें कि मेरे सिवा कोई और नहीं है। मैं ही रब हूँ, और मेरे सिवा कोई और नहीं है। 7 मैं ही रौशनी को तश्कील देता और अंधेरे को वुजूद में लाता हूँ, मैं ही अच्छे और बुरे हालात पैदा करता, मैं रब ही यह सब कुछ करता हूँ। 8 ऐ आसमान, रास्ती की बूँदा-बाँदी से ज़मीन को तरो-ताज़ा कर! ऐ बादलो, सदाक़त बरसाओ! ज़मीन खुलकर नजात का फल लाए और रास्ती का पौदा फूटने दे। मैं रब ही उसे वुजूद में लाया हूँ।”
11 रब जो इसराईल का क़ुद्दूस और उसे तश्कील देनेवाला है फ़रमाता है, “तुम किस तरह मेरे बच्चों के बारे में मेरी पूछ-गछ कर सकते हो? जो कुछ मेरे हाथों ने बनाया उसके बारे में तुम कैसे मुझे हुक्म दे सकते हो? 12 मैं ही ने ज़मीन को बनाकर इनसान को उस पर ख़लक़ किया। मेरे अपने हाथों ने आसमान को ख़ैमे की तरह उसके ऊपर तान लिया और मैं ही ने उसके सितारों के पूरे लशकर को तरतीब दिया। 13 मैं ही ने ख़ोरस को इनसाफ़ से जगा दिया, और मैं ही उसके तमाम रास्ते सीधे बना देता हूँ। वह मेरे शहर को नए सिरे से तामीर करेगा और मेरे जिलावतनों को आज़ाद करेगा। और यह सब कुछ मुफ़्त में होगा, न वह पैसे लेगा, न तोह्फ़े।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।
18 क्योंकि रब फ़रमाता है, “मैं ही रब हूँ, और मेरे सिवा कोई और नहीं है! जो यह फ़रमाता है वह ख़ुदा है, जिसने आसमान को ख़लक़ किया और ज़मीन को तश्कील देकर महफ़ूज़ बुनियाद पर रखा। और ज़मीन सुनसान बयाबान न रही बल्कि उसने उसे बसने के क़ाबिल बना दिया ताकि जानदार उसमें रह सकें। 19 मैंने पोशीदगी में या दुनिया के किसी तारीक कोने से बात नहीं की। मैंने याक़ूब की औलाद से यह भी नहीं कहा, ‘बेशक मुझे तलाश करो, लेकिन तुम मुझे नहीं पाओगे।’ नहीं, मैं रब ही हूँ, जो इनसाफ़ बयान करता, सच्चाई का एलान करता है।
20 तुम जो दीगर अक़वाम से बच निकले हो आओ, जमा हो जाओ। मिलकर मेरे हुज़ूर हाज़िर हो जाओ! जो लकड़ी के बुत उठाकर अपने साथ लिए फिरते हैं वह कुछ नहीं जानते! जो देवता छुटकारा नहीं दे सकते उनसे वह क्यों इल्तिजा करते हैं? 21 आओ, अपना मामला सुनाओ, अपने दलायल पेश करो! बेशक पहले एक दूसरे से मशवरा करो। किसने बड़ी देर पहले यह कुछ सुनाया था? क्या मैं, रब ने तवील अरसा पहले इसका एलान नहीं किया था? क्योंकि मेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। मैं रास्त ख़ुदा और नजातदहिंदा हूँ। मेरे सिवा कोई और नहीं है।
22 ऐ ज़मीन की इंतहाओ, सब मेरी तरफ़ रुजू करके नजात पाओ! क्योंकि मैं ही ख़ुदा हूँ, मेरे सिवा कोई और नहीं है। 23 मैंने अपने नाम की क़सम खाकर फ़रमाया है, और मेरा फ़रमान रास्त है, वह कभी मनसूख़ नहीं होगा। फ़रमान यह है कि मेरे सामने हर घुटना झुकेगा और हर ज़बान मेरी क़सम खा कर 24 कहेगी, ‘रब ही रास्ती और क़ुव्वत का मंबा है’!”