5 रब ख़ुदा ने आसमान को ख़लक़ करके ख़ैमे की तरह ज़मीन के ऊपर तान लिया। उसी ने ज़मीन को और जो कुछ उसमें से फूट निकलता है तश्कील दिया, और उसी ने रूए-ज़मीन पर बसने और चलनेवालों में दम फूँककर जान डाली। अब यही ख़ुदा अपने ख़ादिम से फ़रमाता है, 6 “मैं, रब ने इनसाफ़ से तुझे बुलाया है। मैं तेरे हाथ को पकड़कर तुझे महफ़ूज़ रखूँगा। क्योंकि मैं तुझे क़ौम का अहद और दीगर अक़वाम की रौशनी बना दूँगा 7 ताकि तू अंधों की आँखें खोले, क़ैदियों को कोठड़ी से रिहा करे और तारीकी की क़ैद में बसनेवालों को छुटकारा दे। 8 मैं रब हूँ, यही मेरा नाम है! मैं बरदाश्त नहीं करूँगा कि जो जलाल मुझे मिलना है वह किसी और को दे दिया जाए, कि लोग बुतों की तमजीद करें जबकि उन्हें मेरी तमजीद करनी चाहिए। 9 देखो, जिसकी भी पेशगोई मैंने की थी वह वुक़ू में आया है। अब मैं नई बातों का एलान करता हूँ। इससे पहले कि वह वुजूद में आएँ मैं उन्हें तुम्हें सुना देता हूँ।”
13 रब सूरमे की तरह लड़ने के लिए निकलेगा, फ़ौजी की तरह जोश में आएगा और जंग के नारे लगा लगाकर अपने दुश्मनों पर ग़ालिब आएगा।
14 वह फ़रमाता है, “मैं बड़ी देर से ख़ामोश रहा हूँ। मैं चुप रहा और अपने आपको रोकता रहा। लेकिन अब मैं दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह कराहता हूँ। मेरा साँस फूल जाता और मैं बेताबी से हाँपता रहता हूँ। 15 मैं पहाड़ों और पहाड़ियों को तबाह करके उनकी तमाम हरियाली झुलसा दूँगा। दरिया ख़ुश्क ज़मीन बन जाएंगे, और जोहड़ सूख जाएंगे। 16 मैं अंधों को ऐसी राहों पर ले चलूँगा जिनसे वह वाक़िफ़ नहीं होंगे, ग़ैरमानूस रास्तों पर उनकी राहनुमाई करूँगा। उनके आगे मैं अंधेरे को रौशन और नाहमवार ज़मीन को हमवार करूँगा। यह सब कुछ मैं सरंजाम दूँगा, एक बात भी अधूरी नहीं रह जाएगी।
17 लेकिन जो बुतों पर भरोसा रखकर उनसे कहते हैं, ‘तुम हमारे देवता हो’ वह सख़्त शर्म खाकर पीछे हट जाएंगे।
23 काश तुममें से कोई ध्यान दे, कोई आइंदा के लिए तवज्जुह दे। 24 सोच लो! किसने इजाज़त दी कि याक़ूब की औलाद को ग़ारत किया जाए? किसने इसराईल को लुटेरों के हवाले कर दिया? क्या यह रब की तरफ़ से नहीं हुआ, जिसके ख़िलाफ़ हमने गुनाह किया है? लोग तो उस की राहों पर चलना ही नहीं चाहते थे, वह उस की शरीअत के ताबे रहने के लिए तैयार ही न थे। 25 इसी वजह से उसने उन पर अपना सख़्त ग़ज़ब नाज़िल किया, उन्हें शदीद जंग की ज़द में आने दिया। लेकिन अफ़सोस, गो आग ने क़ौम को घेरकर झुलसा दिया ताहम उसे समझ नहीं आई, गो वह भस्म हुई तो भी उसने दिल से सबक़ नहीं सीखा।
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