9 पाताल तेरे उतरने के बाइस हिल गया है। तेरे इंतज़ार में वह मुरदा रूहों को हरकत में ला रहा है। वहाँ दुनिया के तमाम रईस और अक़वाम के तमाम बादशाह अपने तख़्तों से खड़े होकर तेरा इस्तक़बाल करेंगे। 10 सब मिलकर तुझसे कहेंगे, ‘अब तू भी हम जैसा कमज़ोर हो गया है, तू भी हमारे बराबर हो गया है!’ 11 तेरी तमाम शानो-शौकत पाताल में उतर गई है, तेरे सितार ख़ामोश हो गए हैं। अब कीड़े तेरा गद्दा और केंचुए तेरा कम्बल होंगे।
12 ऐ सिताराए-सुबह, ऐ इब्ने-सहर, तू आसमान से किस तरह गिर गया है! जिसने दीगर ममालिक को शिकस्त दी थी वह अब ख़ुद पाश पाश हो गया है। 13 दिल में तूने कहा, ‘मैं आसमान पर चढ़कर अपना तख़्त अल्लाह के सितारों के ऊपर लगा लूँगा, मैं इंतहाई शिमाल में उस पहाड़ पर जहाँ देवता जमा होते हैं तख़्तनशीन हूँगा। 14 मैं बादलों की बुलंदियों पर चढ़कर क़ादिरे-मुतलक़ के बिलकुल बराबर हो जाऊँगा।’ 15 लेकिन तुझे तो पाताल में उतारा जाएगा, उसके सबसे गहरे गढ़े में गिराया जाएगा।
16 जो भी तुझ पर नज़र डालेगा वह ग़ौर से देखकर पूछेगा, ‘क्या यही वह आदमी है जिसने ज़मीन को हिला दिया, जिसके सामने दीगर ममालिक काँप उठे? 17 क्या इसी ने दुनिया को वीरान कर दिया और उसके शहरों को ढाकर क़ैदियों को घर वापस जाने की इजाज़त न दी?’
18 दीगर ममालिक के तमाम बादशाह बड़ी इज़्ज़त के साथ अपने अपने मक़बरों में पड़े हुए हैं। 19 लेकिन तुझे अपनी क़ब्र से दूर किसी बेकार कोंपल की तरह फेंक दिया जाएगा। तुझे मक़तूलों से ढाँका जाएगा, उनसे जिनको तलवार से छेदा गया है, जो पथरीले गढ़ों में उतर गए हैं। तू पाँवों तले रौंदी हुई लाश जैसा होगा, 20 और तदफ़ीन के वक़्त तू दीगर बादशाहों से जा नहीं मिलेगा। क्योंकि तूने अपने मुल्क को तबाह और अपनी क़ौम को हलाक कर दिया है। चुनाँचे अब से अबद तक इन बेदीनों की औलाद का ज़िक्र तक नहीं किया जाएगा। 21 इस आदमी के बेटों को फाँसी देने की जगह तैयार करो! क्योंकि उनके बापदादा का क़ुसूर इतना संगीन है कि उन्हें मरना ही है। ऐसा न हो कि वह दुबारा उठकर दुनिया पर क़ब्ज़ा कर लें, कि रूए-ज़मीन उनके शहरों से भर जाए।”
29 ऐ तमाम फ़िलिस्ती मुल्क, इस पर ख़ुशी मत मना कि हमें मारनेवाली लाठी टूट गई है। क्योंकि साँप की बची हुई जड़ से ज़हरीला साँप फूट निकलेगा, और उसका फल शोलाफ़िशाँ उड़नअज़दहा होगा। 30 तब ज़रूरतमंदों को चरागाह मिलेगी, और ग़रीब महफ़ूज़ जगह पर आराम करेंगे। लेकिन तेरी जड़ को मैं काल से मार दूँगा, और जो बच जाएँ उन्हें भी हलाक कर दूँगा।
31 ऐ शहर के दरवाज़े, वावैला कर! ऐ शहर, ज़ोर से चीख़ें मार! ऐ फ़िलिस्तियो, हिम्मत हारकर लड़खड़ाते जाओ। क्योंकि शिमाल से तुम्हारी तरफ़ धुआँ बढ़ रहा है, और उस की सफ़ों में पीछे रहनेवाला कोई नहीं है। 32 तो फिर हमारे पास भेजे हुए क़ासिदों को हम क्या जवाब दें? यह कि रब ने सिय्यून को क़ायम रखा है, कि उस की क़ौम के मज़लूम उसी में पनाह लेंगे।
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