3 इसराईली रब के मुल्क में नहीं रहेंगे बल्कि उन्हें मिसर वापस जाना पड़ेगा, उन्हें असूर में नापाक चीज़ें खानी पड़ेंगी। 4 वहाँ वह रब को न मै की और न ज़बह की क़ुरबानियाँ पेश कर सकेंगे। उनकी रोटी मातम करनेवालों की रोटी जैसी होगी यानी जो भी उसे खाए वह नापाक हो जाएगा। हाँ, उनका खाना सिर्फ़ उनकी अपनी भूक मिटाने के लिए होगा, और वह रब के घर में नहीं आएगा। 5 उस वक़्त तुम ईदों पर क्या करोगे? रब के तहवारों को तुम कैसे मनाओगे? 6 जो तबाहशुदा मुल्क से निकलेंगे उन्हें मिसर इकट्ठा करेगा, उन्हें मेंफ़िस दफ़नाएगा। ख़ुदरौ पौदे उनकी क़ीमती चाँदी पर क़ब्ज़ा करेंगे, काँटेदार झाड़ियाँ उनके घरों पर छा जाएँगी।
7 सज़ा के दिन आ गए हैं, हिसाब-किताब के दिन पहुँच गए हैं। इसराईल यह बात जान ले। तुम कहते हो, “यह नबी अहमक़ है, रूह का यह बंदा पागल है।” क्योंकि जितना संगीन तुम्हारा गुनाह है उतने ही ज़ोर से तुम मेरी मुख़ालफ़त करते हो।
8 नबी मेरे ख़ुदा की तरफ़ से इसराईल का पहरेदार बनाया गया है। लेकिन जहाँ भी वह जाए वहाँ उसे फँसाने के फंदे लगाए गए हैं, बल्कि उसे उसके ख़ुदा के घर में भी सताया जाता है। 9 उनसे निहायत ही ख़राब काम सरज़द हुआ है, ऐसा शरीर काम जैसा जिबिया के बाशिंदों से हुआ था। अल्लाह उनका क़ुसूर याद करके उनके गुनाहों की मुनासिब सज़ा देगा।
14 ऐ रब, उन्हें दे! क्या दे? होने दे कि उनके बच्चे पेट में ज़ाया हो जाएँ, कि औरतें दूध न पिला सकें।
15 रब फ़रमाता है, “जब उनकी तमाम बेदीनी जिलजाल में ज़ाहिर हुई तो मैंने उनसे नफ़रत की। उनकी बुरी हरकतों की वजह से मैं उन्हें अपने घर से निकाल दूँगा। आइंदा मैं उन्हें प्यार नहीं करूँगा। उनके तमाम राहनुमा सरकश हैं। 16 इसराईल को मारा गया, लोगों की जड़ सूख गई है, और वह फल नहीं ला सकते। उनके बच्चे पैदा हो भी जाएँ तो मैं उनकी क़ीमती औलाद को मार डालूँगा।” 17 मेरा ख़ुदा उन्हें रद्द करेगा, इसलिए कि उन्होंने उस की नहीं सुनी। चुनाँचे उन्हें दीगर अक़वाम में मारे मारे फिरना पड़ेगा।
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