5 ऐ सामरिया, मैंने तेरे बछड़े को रद्द कर दिया है! मेरा ग़ज़ब तेरे बाशिंदों पर नाज़िल होनेवाला है, क्योंकि वह पाक-साफ़ हो जाने के क़ाबिल ही नहीं! यह हालत कब तक जारी रहेगी? 6 ऐ इसराईल, जिस बछड़े की पूजा तू करता है उसे दस्तकार ही ने बनाया है। सामरिया का बछड़ा ख़ुदा नहीं है बल्कि पाश पाश हो जाएगा।
7 वह हवा का बीज बो रहे हैं और आँधी की फ़सल काटेंगे। अनाज की फ़सल तैयार है, लेकिन बालियाँ कहीं नज़र नहीं आतीं। इससे आटा मिलने का इमकान ही नहीं। और अगर थोड़ा-बहुत गंदुम मिले भी तो ग़ैरमुल्की उसे हड़प कर लेंगे।
8 हाँ, तमाम इसराईल को हड़प कर लिया गया है। अब वह क़ौमों में ऐसा बरतन बन गया है जो कोई पसंद नहीं करता। 9 क्योंकि उसके लोग असूर के पास चले गए हैं। जंगली गधा तो अकेला रहता है, लेकिन इसराईल अपने आशिक़ को तोह्फ़े देकर ख़ुश रखने पर तुला रहता है। 10 लेकिन ख़ाह वह दीगर क़ौमों में कितने तोह्फ़े क्यों न तक़सीम करें अब मैं उन्हें सज़ा देने के लिए जमा करूँगा। जल्द ही वह शहनशाह के बोझ तले पेचो-ताब खाने लगेंगे। 11 गो इसराईल ने गुनाहों को दूर करने के लिए मुतअद्दिद क़ुरबानगाहें तामीर कीं, लेकिन वह उसके लिए गुनाह का बाइस बन गई हैं। 12 ख़ाह मैं अपने अहकाम को इसराईलियों के लिए हज़ारों दफ़ा क्यों न क़लमबंद करता, तो भी फ़रक़ न पड़ता, वह समझते कि यह अहकाम अजनबी हैं, यह हम पर लागू नहीं होते। 13 गो वह मुझे क़ुरबानियाँ पेश करके उनका गोश्त खाते हैं, लेकिन मैं, रब इनसे ख़ुश नहीं होता बल्कि उनके गुनाहों को याद करके उन्हें सज़ा दूँगा। तब उन्हें दुबारा मिसर जाना पड़ेगा। 14 इसराईल ने अपने ख़ालिक़ को भूलकर बड़े महल बना लिए हैं, और यहूदाह ने मुतअद्दिद शहरों को क़िलाबंद बना लिया है। लेकिन मैं उनके शहरों पर आग नाज़िल करके उनके महलों को भस्म कर दूँगा।”
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