होसेअ
2 जब रब पहली बार होसेअ से हमकलाम हुआ तो उसने हुक्म दिया, “जा, ज़िनाकार औरत से शादी कर और ज़िनाकार बच्चे पैदा कर, क्योंकि मुल्क रब की पैरवी छोड़कर मुसलसल ज़िना करता रहता है।” 3 चुनाँचे होसेअ की जुमर बिंत दिबलायम से शादी हुई। उसका पाँव भारी हुआ, और बेटा पैदा हुआ। 4 तब रब ने होसेअ से कहा, “उसका नाम यज़्रएल रखना। क्योंकि जल्द ही मैं याहू के ख़ानदान को यज़्रएल में उस क़त्लो-ग़ारत की सज़ा दूँगा जो उससे सरज़द हुई। साथ साथ मैं इसराईली बादशाही को भी ख़त्म करूँगा। 5 उस दिन मैं मैदाने-यज़्रएल में इसराईल की कमान को तोड़ डालूँगा।”
6 इसके बाद जुमर दुबारा उम्मीद से हुई। इस बार बेटी पैदा हुई। रब ने होसेअ से कहा, “इसका नाम लोरुहामा यानी ‘जिस पर रहम न हुआ हो’ रखना, क्योंकि आइंदा मैं इसराईलियों पर रहम नहीं करूँगा बल्कि वह मेरे रहम से सरासर महरूम रहेंगे।
7 लेकिन यहूदाह के बाशिंदों पर मैं रहम करके उन्हें छुटकारा दूँगा। मैं उन्हें कमान, तलवार, जंग के हथियारों, घोड़ों या घुड़सवारों की मारिफ़त छुटकारा नहीं दूँगा बल्कि मैं जो रब उनका ख़ुदा हूँ ख़ुद ही उन्हें नजात दूँगा।”
8 लोरुहामा का दूध छुड़ाने पर जुमर फिर हामिला हुई। इस मरतबा बेटा पैदा हुआ। 9 तब रब ने फ़रमाया, “इसका नाम लोअम्मी यानी ‘मेरी क़ौम नहीं’ रखना। क्योंकि तुम मेरी क़ौम नहीं, और मैं तुम्हारा ख़ुदा नहीं हूँगा।
10 लेकिन वह वक़्त आएगा जब इसराईली समुंदर की रेत जैसे बेशुमार होंगे। न उनकी पैमाइश की जा सकेगी, न उन्हें गिना जा सकेगा। तब जहाँ उनसे कहा गया कि ‘तुम मेरी क़ौम नहीं’ वहाँ वह ‘ज़िंदा ख़ुदा के फ़रज़ंद’ कहलाएँगे। 11 तब यहूदाह और इसराईल के लोग मुत्तहिद हो जाएंगे और मिलकर एक राहनुमा मुक़र्रर करेंगे। फिर वह मुल्क में से निकल आएँगे, क्योंकि यज़्रएल [a] का दिन अज़ीम होगा!
होसेअ 2 ->- a यानी अल्लाह बीज बोता है।