7 इब्राहीम उठा और मुल्क के बाशिंदों यानी हित्तियों के सामने ताज़ीमन झुक गया। 8 उसने कहा, “अगर आप इसके लिए तैयार हैं कि मैं अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न करूँतो सुहर के बेटे इफ़रोन से मेरी सिफ़ारिश करें 9 कि वह मुझे मकफ़ीला का ग़ार बेच दे। वह उसका है और उसके खेत के किनारे पर है। मैं उस की पूरी क़ीमत देने के लिए तैयार हूँ ताकि आपके दरमियान रहते हुए मेरे पास क़ब्र भी हो।”
10 इफ़रोन हित्तियों की जमात में मौजूद था। इब्राहीम की दरख़ास्त पर उसने उन तमाम हित्तियों के सामने जो शहर के दरवाज़े पर जमा थे जवाब दिया, 11 “नहीं, मेरे आक़ा! मेरी बात सुनें। मैं आपको यह खेत और उसमें मौजूद ग़ार दे देता हूँ। सब जो हाज़िर हैं मेरे गवाह हैं, मैं यह आपको देता हूँ। अपनी बीवी को वहाँ दफ़न कर दें।”
12 इब्राहीम दुबारा मुल्क के बाशिंदों के सामने अदबन झुक गया। 13 उसने सबके सामने इफ़रोन से कहा, “मेहरबानी करके मेरी बात पर ग़ौर करें। मैं खेत की पूरी क़ीमत अदा करूँगा। उसे क़बूल करें ताकि वहाँ अपनी बीवी को दफ़न कर सकूँ।” 14-15 इफ़रोन ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, सुनें। इस ज़मीन की क़ीमत सिर्फ़ 400 चाँदी के सिक्के है। [a] आपके और मेरे दरमियान यह क्या है? अपनी बीवी को दफ़न कर दें।”
16 इब्राहीम ने इफ़रोन की मतलूबा क़ीमत मान ली और सबके सामने चाँदी के 400 सिक्के तोलकर इफ़रोन को दे दिए। इसके लिए उसने उस वक़्त के रायज बाट इस्तेमाल किए। 17 चुनाँचे मकफ़ीला में इफ़रोन की ज़मीन इब्राहीम की मिलकियत हो गई। यह ज़मीन ममरे के मशरिक़ में थी। उसमें खेत, खेत का ग़ार और खेत की हुदूद में मौजूद तमाम दरख़्त शामिल थे। 18 हित्तियों की पूरी जमात ने जो शहर के दरवाज़े पर जमा थी ज़मीन के इंतक़ाल की तसदीक़ की। 19 फिर इब्राहीम ने अपनी बीवी सारा को मुल्के-कनान के उस ग़ार में दफ़न किया जो ममरे यानी हबरून के मशरिक़ में वाक़े मकफ़ीला के खेत में था। 20 इस तरीक़े से यह खेत और उसका ग़ार हित्तियों से इब्राहीम के नाम पर मुंतक़िल कर दिया गया ताकि उसके पास क़ब्र हो।
<- पैदाइश 22पैदाइश 24 ->- a तक़रीबन साढ़े चार किलोग्राम चाँदी।