2-3 फ़ीनहास के ख़ानदान का जैरसोम,
4 पख़त-मोआब के ख़ानदान का इलीहूऐनी बिन ज़रख़ियाह 200 मर्दों के साथ,
5 ज़त्तू के ख़ानदान का सकनियाह बिन यहज़ियेल 300 मर्दों के साथ,
6 अदीन के ख़ानदान का अबद बिन यूनतन 50 मर्दों के साथ,
7 ऐलाम के ख़ानदान का यसायाह बिन अतलियाह 70 मर्दों के साथ,
8 सफ़तियाह के ख़ानदान का ज़बदियाह बिन मीकाएल 80 मर्दों के साथ,
9 योआब के ख़ानदान का अबदियाह बिन यहियेल 218 मर्दों के साथ,
10 बानी के ख़ानदान का सलूमीत बिन यूसिफ़ियाह 160 मर्दों के साथ,
11 बबी के ख़ानदान का ज़करियाह बिन बबी 28 मर्दों के साथ,
12 अज़जाद के ख़ानदान का यूहनान बिन हक़्क़ातान 110 मर्दों के साथ,
13 अदूनिक़ाम के ख़ानदान के आख़िरी लोग इलीफ़लत, यइयेल और समायाह 60 मर्दों के साथ,
14 बिगवई का ख़ानदान का ऊती और ज़बूद 70 मर्दों के साथ।
18 अल्लाह का शफ़ीक़ हाथ हम पर था, इसलिए उन्होंने हमें महली बिन लावी बिन इसराईल के ख़ानदान का समझदार आदमी सरिबियाह भेज दिया। सरिबियाह अपने बेटों और भाइयों के साथ पहुँचा। कुल 18 मर्द थे। 19 इनके अलावा मिरारी के ख़ानदान के हसबियाह और यसायाह को भी उनके बेटों और भाइयों के साथ हमारे पास भेजा गया। कुल 20 मर्द थे। 20 उनके साथ रब के घर के 220 ख़िदमतगार थे। इनके तमाम नाम नसबनामे में दर्ज थे। दाऊद और उसके मुलाज़िमों ने उनके बापदादा को लावियों की ख़िदमत करने की ज़िम्मादारी दी थी।
24 फिर मैंने इमामों के 12 राहनुमाओं को चुन लिया, नीज़ सरिबियाह, हसबियाह और मज़ीद 10 लावियों को। 25 उनकी मौजूदगी में मैंने सोना-चाँदी और बाक़ी तमाम सामान तोल लिया जो शहनशाह, उसके मुशीरों और अफ़सरों और वहाँ के तमाम इसराईलियों ने हमारे ख़ुदा के घर के लिए अता किया था।
26 मैंने तोलकर ज़ैल का सामान उनके हवाले कर दिया : तक़रीबन 22,000 किलोग्राम चाँदी, चाँदी का कुछ सामान जिसका कुल वज़न तक़रीबन 3,400 किलोग्राम था, 3,400 किलोग्राम सोना, 27 सोने के 20 प्याले जिनका कुल वज़न तक़रीबन साढ़े 8 किलोग्राम था, और पीतल के दो पालिश किए हुए प्याले जो सोने के प्यालों जैसे क़ीमती थे।
28 मैंने आदमियों से कहा, “आप और यह तमाम चीज़ें रब के लिए मख़सूस हैं। लोगों ने अपनी ख़ुशी से यह सोना-चाँदी रब आपके बापदादा के ख़ुदा के लिए क़ुरबान की है। 29 सब कुछ एहतियात से महफ़ूज़ रखें, और जब आप यरूशलम पहुँचेंगे तो इसे रब के घर के ख़ज़ाने तक पहुँचाकर राहनुमा इमामों, लावियों और ख़ानदानी सरपरस्तों की मौजूदगी में दुबारा तोलना।”
30 फिर इमामों और लावियों ने सोना-चाँदी और बाक़ी सामान लेकर उसे यरूशलम में हमारे ख़ुदा के घर में पहुँचाने के लिए महफ़ूज़ रखा।
35 इसके बाद जिलावतनी से वापस आए हुए तमाम लोगों ने इसराईल के ख़ुदा को भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश कीं। इस नाते से उन्होंने पूरे इसराईल के लिए 12 बैल, 96 मेंढे, भेड़ के 77 बच्चे और गुनाह की क़ुरबानी के 12 बकरे क़ुरबान किए।
36 मुसाफ़िरों ने दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नरों और हाकिमों को शहनशाह की हिदायात पहुँचाईं। इनको पढ़कर उन्होंने इसराईली क़ौम और अल्लाह के घर की हिमायत की।
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