4 यह सुनकर मुल्क की दूसरी क़ौमें यहूदाह के लोगों की हौसलाशिकनी और उन्हें डराने की कोशिश करने लगीं ताकि वह इमारत बनाने से बाज़ आएँ। 5 यहाँ तक कि वह फ़ारस के बादशाह ख़ोरस के कुछ मुशीरों को रिश्वत देकर काम रोकने में कामयाब हो गए। यों रब के घर की तामीर ख़ोरस बादशाह के दौरे-हुकूमत से लेकर दारा बादशाह की हुकूमत तक रुकी रही।
6 बाद में जब अख़स्वेरुस बादशाह की हुकूमत शुरू हुई तो इसराईल के दुश्मनों ने यहूदाह और यरूशलम के बाशिंदों पर इलज़ाम लगाकर शिकायती ख़त लिखा।
7 फिर अर्तख़शस्ता बादशाह के दौरे-हुकूमत में उसे यहूदाह के दुश्मनों की तरफ़ से शिकायती ख़त भेजा गया। ख़त के पीछे ख़ासकर बिशलाम, मित्रदात और ताबियेल थे। पहले उसे अरामी ज़बान में लिखा गया, और बाद में उसका तरजुमा हुआ। 8 सामरिया के गवर्नर रहूम और उसके मीरमुंशी शम्सी ने शहनशाह को ख़त लिख दिया जिसमें उन्होंने यरूशलम पर इलज़ामात लगाए। पते में लिखा था,
9 अज़ : रहूम गवर्नर और मीरमुंशी शम्सी, नीज़ उनके हमख़िदमत क़ाज़ी, सफ़ीर और तरपल, सिप्पर, अरक, बाबल और सोसन यानी ऐलाम के मर्द, 10 नीज़ बाक़ी तमाम क़ौमें जिनको अज़ीम और अज़ीज़ बादशाह अशूरबनीपाल ने उठाकर सामरिया और दरियाए-फ़ुरात के बाक़ीमाँदा मग़रिबी इलाक़े में बसा दिया था।
11 ख़त में लिखा था,
12 शहनशाह को इल्म हो कि जो यहूदी आपके हुज़ूर से हमारे पास यरूशलम पहुँचे हैं वह इस वक़्त उस बाग़ी और शरीर शहर को नए सिरे से तामीर कर रहे हैं। वह फ़सील को बहाल करके बुनियादों की मरम्मत कर रहे हैं। 13 शहनशाह को इल्म हो कि अगर शहर नए सिरे से तामीर हो जाए और उस की फ़सील तकमील तक पहुँचे तो यह लोग टैक्स, ख़राज और महसूल अदा करने से इनकार कर देंगे। तब बादशाह को नुक़सान पहुँचेगा। 14 हम तो नमकहराम नहीं हैं, न शहनशाह की तौहीन बरदाश्त कर सकते हैं। इसलिए हम गुज़ारिश करते हैं 15 कि आप अपने बापदादा की तारीख़ी दस्तावेज़ात से यरूशलम के बारे में मालूमात हासिल करें, क्योंकि उनमें इस बात की तसदीक़ मिलेगी कि यह शहर माज़ी में सरकश रहा। हक़ीक़त में शहर को इसी लिए तबाह किया गया कि वह बादशाहों और सूबों को तंग करता रहा और क़दीम ज़माने से ही बग़ावत का मंबा रहा है। 16 ग़रज़ हम शहनशाह को इत्तला देते हैं कि अगर यरूशलम को दुबारा तामीर किया जाए और उस की फ़सील तकमील तक पहुँचे तो दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े पर आपका क़ाबू जाता रहेगा।”
17 शहनशाह ने जवाब में लिखा,
23 ज्योंही ख़त की कापी रहूम, शम्सी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों को पढ़कर सुनाई गई तो वह यरूशलम के लिए रवाना हुए और यहूदियों को ज़बरदस्ती काम जारी रखने से रोक दिया।
24 चुनाँचे यरूशलम में अल्लाह के घर का तामीरी काम रुक गया, और वह फ़ारस के बादशाह दारा की हुकूमत के दूसरे साल तक रुका रहा।
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